It’s Important: भारत के वर्कफोर्स में महिलाआें की भागीदारी है कम, जेंडर गैप खत्म करने से ही इकोनॉमी को मिलेगा दम
र्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2015 में भारत की रैंकिंग 145 देशों की सूची में 139 है।
नई दिल्ली। महिला सशक्तिकरण के तमाम प्रयासों और वादों के बावजूद भारत के वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी आश्चर्यजनक रूप से अभी भी बहुत कम है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2015 में भारत की रैंकिंग 145 देशों की सूची में 139 है। 2014 की रिपोर्ट में 142 देशों की सूची में भारत का स्थान 134 था। इस रिपोर्ट में इकोनॉमिक समानता पर भारत का स्कोर 0.383 है, जहां शून्य असमान्ता को प्रदर्शित करता है और 1 उचित समानता का परिचायक है। इसमें यह भी कहा गया है कि भारत में इकोनॉमिक भागीदारी और अवसर इंडेक्स में गिरावट की वजह समान काम के लिए वेतन में असमानता और कम महिला कर्मियों की भागीदारी है। महिला और पुरुषों की अनुमानित आय का अनुपात भारत में 0.25 है, इसका मतलब यह हुआ कि पुरुषों की तुलना में महिला कर्मी को एक चौथाई वेतन मिलता है।
डब्ल्यूईएफ रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि भारत की ओवरऑल रैंकिंग- इकोनॉमिक, पॉलीटिकल, एजुकेशन और हेल्थ कैटेगरी के औसत प्रदर्शन के आधार पर- पिछले साल की तुलना में सुधरी है। 145 देशों की सूची में भारत की रैंक 108 है। 2014 में 142 देशों की सूची में भारत का स्थान 114 था। इस सूची में आइसलैंड सबसे ऊपर है। इसके बाद नॉर्वे और फिनलैंड का नंबर आता है। अमेरिका का स्थान 28 और चीन का 91 है। सीरिया, पाकिस्तान और यमन इस सूची के अंतिम तीन देश हैं।
राजनीति में बढ़ा महिलाओं का कद
राजनीति में महिलाओं की बढ़ती संख्या ही अकेला ऐसा कारण है, जिसकी वजह से इस साल भारत की ओवरऑल ग्लोबल रैंकिंग में सुधार हुआ है। इस साल मंत्रीस्तरीय पोजीशन पर महिलाओं की संख्या पिछले साल की तुलना में डबल हो गई है। पिछले साल 9 फीसदी महिलाएं मंत्रीस्तरीय पद पर थी, जबकि इस साल यह आंकड़ा 22 फीसदी है। इस साल भारत की इस मामले में रैंक 145 देशों में 9वीं है, जबकि पिछले साल 142 देशों में इसकी रैंक 15वीं थी।
महिलाओं की ज्यादा भागीदारी से बढ़ेगी इकोनॉमी
इससे पहले आई मैंकिंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट (एमजीआई) की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर जेंडर गैप खत्म करने पर जोर दिया जाए तो देश के जीडीपी में 2025 तक 46 लाख करोड़ रुपए और जुड़ सकते हैं। ऐसा होने पर भारत की सालाना जीडीपी ग्रोथ रेट 1.4 फीसदी तक बढ़ सकती है। एमजीआई की ‘द पॉवर ऑफ पैरिटी: एडवांसिंग वुमेंस इक्वेलिटी इन इंडिया नामक रिपोर्ट के मुताबिक जेंडर गैप को खत्म करने का बड़ा असर भारतीय अर्थव्यवस्था में दिखेगा। इससे भारत अपनी सालाना इंक्रीमेंटल जीडीपी ग्रोथ में 1.40 फीसदी का इजाफा कर सकता है।
अभी जीडीपी में महिलाओं का योगदान महज 17 फीसदी
मैंकिंजी एंड कंपनी के डायरेक्टर (इंडिया) रजत गुप्ता के मुताबिक भारत की जीडीपी में अभी महिलाओं का 17 फीसदी योगदान है, जो कि ग्लोबल एवरेज 37 फीसदी से काफी कम है। साथ ही एमजीआई ने जिन 10 देशों की रिसर्च के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है, उनमें भी भारत में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे कम है। मैंकिंजी के डाटासेट में आने वाले 95 देशों में मात्र 26 देशों की प्रतिव्यक्ति जीडीपी और मानव विकास सूचकांक भारत से कम है, लेकिन इनमें से भी कई देश जेंडर समानता के मामले में भारत से आगे हैं।
48 फीसदी महिलाएं बीच में ही छोड़ देती हैं काम
वूमेन इन दि वर्ल्ड समिट के दौरान पैनल डिस्कशन में इस बात का खुलासा हुआ है कि कॅरियन के बीच में अपना व्हाइट कॉलर जॉब छोड़ने वाली महिलाओं की संख्या 48 फीसदी है, जो एशिया के औसत 21 फीसदी से बहुत अधिक है। जीई साउथ एशिया के चीफ कॅमर्शियल ऑफिसर इपसिता दासगुप्ता ने कहा कि यदि इन महिलाओं को, जिनमें से अधिकांश महिलाएं परिवार को अधिक समय देने के लिए अपना जॉब बीच में ही छोड़ देती है, फिर से काम पर वापस रखा जाए तो भारत की जीडीपी में 2 फीसदी का इजाफा हो सकता है।