देश में पिछले 10 साल में माफ हुआ 4.7 लाख करोड़ रुपए का कृषि कर्ज, एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में खुलासा
पिछले एक दशक में विभिन्न राज्यों ने कुल 4.7 लाख करोड़ रुपए के कृषि ऋण माफ किए हैं। यह उद्योग जगत से संबंधित गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का 82 प्रतिशत है।
मुंबई। पिछले एक दशक में विभिन्न राज्यों ने कुल 4.7 लाख करोड़ रुपए के कृषि ऋण माफ किए हैं। यह उद्योग जगत से संबंधित गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का 82 प्रतिशत है। एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गयी है। एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, कृषि ऋण का एनपीए 2018-19 में बढ़कर 1.1 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। यह कुल 8.79 लाख करोड़ रुपए के एनपीए का 12.4 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2015-16 में कुल एनपीए 5.66 लाख करोड़ रुपए था और इसमें कृषि ऋण की हिस्सेदारी 8.6 प्रतिशत यानी 48,800 करोड़ रुपए थी।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘वित्त वर्ष 2018-19 में कुल एनपीए में कृषि क्षेत्र का हिस्सा महज 1.1 लाख करोड़ रुपए यानी 12.4 प्रतिशत का ही है, लेकिन यदि हम पिछले दशक में 3.14 लाख करोड़ रुपए के माफ किए गए कृषि ऋण को जोड़ें तो खजाने पर इनका बोझ 4.2 लाख करोड़ रुपए हो जाता है। यदि महाराष्ट्र में 45-51 हजार करोड़ रुपए की हालिया ऋण माफी को जोड़ दें तो यह और बढ़कर 4.7 लाख करोड़ रुपए हो जाता है, जो उद्योग जगत के एनपीए का 82 प्रतिशत है।’’
वित्त वर्ष 2014-15 के बाद 10 बड़े राज्यों ने 3,00,240 करोड़ रुपए के कृषि ऋण माफ किए हैं। यदि मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2007-08 में की गयी ऋण माफी को जोड़ दें तो यह बढ़कर करीब चार लाख करोड़ रुपये हो जाता है। इसमें दो लाख करोड़ रुपए से अधिक के कृषि ऋण 2017 के बाद माफ किये गये। आंध्र प्रदेश ने 2014-15 में 24 हजार करोड़ रुपए के कृषि ऋण को माफ किया। इसी दौरान तेलंगाना ने भी 17 हजार करोड़ रुपए के कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की। तमिलनाडु ने 2016-17 में 5,280 करोड़ रुपए के कर्ज माफ किये।
वित्त वर्ष 2017-18 में महाराष्ट्र ने 34,020 करोड़ रुपए, उत्तर प्रदेश ने 36,360 करोड़ रुपए, पंजाब ने 10 हजार करोड़ रुपए, कर्नाटक ने 18 हजार करोड़ रुपए के कृषि ऋण माफ किए। कर्नाटक ने इसके बाद 2018-19 में 44 हजार करोड़ रुपए की कर्जमाफी दी। वित्त वर्ष 2018-19 में राजस्थान ने 18 हजार करोड़ रुपए, मध्य प्रदेश ने 36,500 करोड़ रुपए, छत्तीसगढ़ ने 6,100 करोड़ रुपए और महाराष्ट्र ने 45-51 हजार करोड़ रुपए की कर्जमाफी की। हालांकि ये कर्जमाफियां धरातल के बजाय कागजों पर ही अधिक हुई हैं। इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक कर्ज माफ नहीं किए जा सके हैं। सबसे खराब प्रदर्शन मध्य प्रदेश का रहा है। मध्य प्रदेश में महज 10 प्रतिशत कर्ज माफ किए गएहैं।