नई दिल्ली। वाम दलों सहित पांच राजनीतिक दलों ने केन्द्र सरकार से कहा है कि GST विधेयक लाने से पहले वह राज्यों को आश्वस्त करे कि उनकी वित्तीय जरूरतों का ध्यान रखा जाएगा। माना जा रहा है कि वस्तु एवं सेवाकर (GST) विधेयक के अमल में आने के बाद वित्तीय संसाधन जुटाने के राज्यों के अधिकार काफी सीमित हो जाएंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी जिसमें केन्द्र सरकार से इस आश्वासन की मांग की गई। इस बैठक में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीजू जनता दल के नेता उपस्थित थे।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक संसाधनों के मामले में राज्यों को पंगु बना देगा और आखिर में राज्यों को केन्द्र के समक्ष हाथ फैलाने पड़ेंगे। इससे राज्य पूरी तरह से केन्द्र की दया पर निर्भर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक पारित होने पर राज्यों को बिक्री कर, अधिभार और उपकर लगाने जैसे संसाधन जुटाने के अपने अधिकार से हाथ धोना पड़ेगा।
येचुरी ने कहा, इस विधेयक के आने के साथ ही राज्य राजस्व जुटाने के अपने एकमात्र अधिकार से भी हाथ धो बैठेंगे। इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्य आपात स्थिति में भी कोई उपकर आदि नहीं लगा पाएंगे। वित्त मंत्री को बैठक में राज्यों ने अपनी इस चिंता से अवगत कराया। येचुरी ने कहा, जीएसटी विधेयक केवल कर लगाने से जुड़ा है। इसमें केन्द्र-राज्य संबंधों के बारे में कुछ नहीं है। इसलिये विधेयक से बाहर एक प्रस्ताव आना चाहिये जिसमें सरकार को राज्यों को आश्वासन देना चाहिये। उन्होंने कहा, हम देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे का किस प्रकार समधान करती है। बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि हमें केवल सरकार और कांग्रेस के बीच हुये विचार विमर्श के बारे में सूचित किया गया। इसमें चर्चा की कोई गुंजाइश नहीं थी।
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