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समझिए क्‍यों ब्‍याज दरें घटने के बाद भी सस्‍ता लोन लेने से कतरा रही कंपनियां, क्रेडिट ग्रोथ नहीं पकड़ रही रफ्तार

बैंक से लोन लेने की लागत कम हुई है, बावजूद इसके कंपनियां बैंकों से लोन लेने से कतरा रही हैं। बेस रेट में कटौती के बावजूद क्रेडिट ग्रोथ धीमी बनी हुई है।

समझिए क्‍यों ब्‍याज दरें घटने के बाद भी सस्‍ता लोन लेने से कतरा रही कंपनियां, क्रेडिट ग्रोथ नहीं पकड़ रही रफ्तार- India TV Paisa समझिए क्‍यों ब्‍याज दरें घटने के बाद भी सस्‍ता लोन लेने से कतरा रही कंपनियां, क्रेडिट ग्रोथ नहीं पकड़ रही रफ्तार

नई दिल्‍ली। पिछले कुछ दिनों में बैंक से लोन लेने की लागत कम हुई है, बावजूद इसके कंपनियां बैंकों से लोन लेने से कतरा रही हैं। बैंकों द्वारा अपने बेस रेट में कटौती के बावजूद क्रेडिट ग्रोथ लगातार धीमी बनी हुई है। 30 अक्‍टूबर 2015 तक नॉन-फूड क्रेडिट ग्रोथ 9 फीसदी रही है और अभी तक केवल 68,03,955 करोड़ रुपए का कर्ज बैंकों ने बांटा है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में बैंकों ने 62,44,192 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था।

30 अक्‍टूबर 2015 तक देश में डिपॉजिट में 11.13 फीसदी की ग्रोथ आई है। अभी तक 91,40,029 करोड़ रुपए का डिपॉजिट बैंकों के पास आया है। पिछले एक साल से क्रेडिट ग्रोथ 10 फीसदी से नीचे बनी हुई है। 30 अक्‍टूबर 2015 तक फि‍क्‍स्‍ड डिपॉजिट 10.82 फीसदी वृद्धि के साथ 82,85,066 करोड़ रुपए हो चुका है, जो कि पिछले साल की समान अवधि में 74,76,094 करोड़ रुपए था। डिमांड डिपॉजिट भी 14.29 फीसदी बढ़कर 8,54,960 करोड़ रुपए हो गया है, जो पिछले साल 7,48,036 करोड़ रुपए था।

फि‍क्‍स्‍ड डिपॉजिट अभी भी आकर्षक  

बैंकों द्वारा लगातार डिपॉजिट रेट में कटौती के बावजूद इंडीविजुअल्‍स और कंपनियां बेहतर इंटरेस्‍ट रेट रिटर्न पाने के लिए अपना अतिरिक्‍त धन अभी भी फि‍क्‍स्‍ड डिपॉजिट में ही रखना पसंद कर रहे हैं। जनवरी से लेकर अब तक आरबीआई ने रेपो रेट में 125 आधार अंकों की कटौती की है, जबकि बैंकों ने एक साल के डिपॉजिट रेट में औसतन 130 आधार अंकों की कटौती की है।

बैंक की तुलना में बांड मार्केट से पैसा जुटाना सस्‍ता

कंपनियों की लोन डिमांड लगातार कमजोर बनी हुई है। इसके पीछे वजह यह है कि कंपनियां बांड मार्केट से बड़ी मात्रा में धन जुटा रही हैं। एए रेटिंग वाली एक कंपनी 10 साल वाले बांड 8.25 से 8.50 फीसदी ब्‍याज दर पर जारी कर सकती है। इसके विपरीत बैंकिंग सिस्‍टम में सबसे कम बेस रेट 9.30 फीसदी है। ऐसे में कंपनियों को बांड मार्केट से पैसा जुटाना बैंकों की तुलना में ज्‍यादा सस्‍ता पड़ता है। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक शेयर बाजार में बहुत ज्‍यादा उतार-चढ़ाव की वजह से कॉरपोरेट बांड निवेशकों के बीच बहुत ज्‍यादा लोकप्रिय बन चुके हैं। इनमें जोखिम कम होता है और शेयरों की तुलना में रिटर्न अधिक मिलता है। इसके अलावा, कंपनियां भी ताजा पूंजी जुटाने के लिए कॉरपोरेट बांड का रास्‍ता अपना रही हैं, क्‍योंकि यह बैंक की तुलना में ज्‍यादा सस्‍ता जरिया है।

छह माह में कंपनियों ने बाजार से जुटाए 3 लाख करोड़ रुपए

वित्‍त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही (अप्रैल-सितंबर) में भारतीय कंपनियों ने बाजार से 3 लाख करोड़ रुपए की राशि जुटाई है। अपनी कॉरपोरेट जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्‍यक राशि जुटाने के लिए कंपनियों का सबसे पसंदीदा जरिया कॉरपोरेट बांड बन चुका है। विभिन्‍न माध्‍यमों से पैसा जुटाने के तरीकों के विश्‍लेषण से पता चला है कि कंपनियों ने चालू वित्‍त वर्ष की पहली छमाही में इक्विटी और बांड के जरिये बाजार से कुल 2,90,470 करोड़ रुपए की राशि जुटाई है। इसमें से सबसे ज्‍यादा 2.44 लाख करोड़ रुपए की राशि कॉरपोरेट बांड के जरिये जुटाई गई है, जबकि 46,197 करोड़ रुपए की राशि इक्विटी बिक्री के जरिये जुटाई गई है।

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