प्याज का भाव पहुंचा 2015 के बाद सबसे ऊपरी स्तर पर, लासलगांव में थोक दाम 26 रुपए किलो हुआ
प्याज की कीमतें आज महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में दो गुना से ज्यादा बढ़कर 26 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई हैं। यह एशिया की सबसे बड़ी प्याज की थोक मंडी है
नई दिल्ली। प्याज की कीमतें आज महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में दो गुना से ज्यादा बढ़कर 26 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई हैं। यह एशिया की सबसे बड़ी प्याज की थोक मंडी है। पुराने स्टॉक की कम आपूर्ति और नई खरीफ फसल में कमी आने की वजह से प्याज की कीमतों में वृद्धि हो रही है। एक साल पहले समान अवधि में यहां प्याज की अधिकतम थोक कीमत 9.20 रुपए प्रति किलो थी। लासलगांव मंडी के भाव के आधार पर ही बाकी देश में प्याज की खुदरा कीमतें तय होती हैं।
लासलगांव में गुरुवार को प्याज का अधिकतम भाव 2600 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया, जबकि औसत भाव 2300 रुपए प्रति क्विंटल रहा। नवंबर 2015 के बाद लासलगांव में यह सबसे अधिक औसत भाव है। सिर्फ लासलगांव ही नहीं बल्की कई अन्य प्याज मंडियों में भी इसकी कीमतों में उछाल देखने को मिला है। बढ़ोतरी का असर अब रिटेल मंडियों में भी दिखना शुरू हो जाएगा। दिल्ली और एनसीआर की कई मंडियों में प्याज का रिटेल भाव पहले ही 30 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। गुरुवार को दिल्ली में प्याज का रिटेल भाव 28 रुपए प्रति किलो और गुरुग्राम में 30 रुपए प्रति किलो दर्ज किया गया है।
देश में प्याज की पैदावार तो अच्छी है लेकिन इसके निर्यात में हो रही बढ़ोतरी की वजह से कीमतों में इजाफा हो रहा है। दूसरी ओर बरसात की वजह से कई मंडियों में सप्लाई प्रभावित हुई है, जो कीमतों को ऊपर उठा रही है। निर्यात की बात करें तो वित्तवर्ष 2017-18 के पहले महीने यानि अप्रैल के दौरान देश से प्याज निर्यात में करीब 125 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, अप्रैल के दौरान देश से कुल 3,20,943 टन प्याज एक्सपोर्ट हुआ है, जबकि पिछले साल इस दौरान देश से सिर्फ 1,42,767 टन प्याज निर्यात हो पाया था।
नासिक स्थित नेशनल हॉर्टीकल्चरल रिसर्च एंड डेवेलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के डायरेक्टर पीके गुप्ता बताते हैं कि कम आपूर्ति की वजह से कीमतें बढ़ रही हैं। मौजूदा मांग को पुराने रबी फसल के स्टॉक से पूरा किया जा रहा है, जिसका कि अब निर्यात भी शुरू हो गया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश से सीमित आवक हो रही है क्योंकि राज्य सरकार वहां खरीद कर रही है।
खरीफ फसल 2017-18 में भी प्याज की पैदावार कम रहने की उम्मीद है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कम और देरी से बारिश होने की वजह से प्याज की बुवाई इस बार कम क्षेत्र में हुई है। खरीफ फसल की अगाड़ी उपज आंध्र प्रदेश में आनी शुरू हो गई है, लेकिन खरीफ फसल की आवक सितंबर में अपने उच्च स्तर पर होगी। तब तक प्याज की उपलब्धता और कीमतों पर दबाव बना रहेगा।