अगले 48 घंटों में देश के इन हिस्सों में होगी जोरदार बारिश, दिल्ली-एनसीआर में इस समय आएगा मानसून
मौसम विभाग के अनुसार लक्षद्वीप और अरब सागर के पूर्वमध्य हिस्से में एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है, इसके चलते अगले 48 घंटों में असर सागर से लगे हुए दक्षिण पूर्व व पूर्व मध्य इलाकों में तेज हवाओं के साथ अच्छी बारिश दर्ज की जा सकती है।
नई दिल्ली। मानसून ने बीते शनिवार को केरल में दस्तक दे दी है। इस बार मानसून अपने तय समय (1 जून) से आठ दिन देरी से केरल पहुंचा है। मौसम विभाग के अनुसार लक्षद्वीप और अरब सागर के पूर्वमध्य हिस्से में एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। इसके चलते अगले 48 घंटों में असर सागर से लगे हुए दक्षिण पूर्व व पूर्व मध्य इलाकों में तेज हवाओं के साथ अच्छी बारिश दर्ज की जा सकती है। यह हवाएं अगले 24 घंटे में तूफानी हवाओं का रूप ले सकती हैं। इस बार मानूसन के दक्षिण से लेकर उत्तर भारत सात से दस दिनों की देरी से पहुंचने की उम्मीद है।
दिल्ली-एनसीआर में जुलाई के पहले सप्ताह में पहुंचेगा मानसून
मौसम विभाग ने पूर्वानुमान के मुताबिक जून माह में सामान्य से कम बारिश होगी। वहीं मध्य भारत और उत्तर भारत में अभी भी हीटवेव जारी रहेगी। सबसे ज्यादा हीटवेव मध्य प्रदेश, उत्तर प्रद्रेश, महराष्ट्र और राजस्थान में रहेगी। मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर में मानसून को पहुंचने में 15 से 20 दिन की देरी हो सकती है। आमतौर पर दिल्ली और इसके आसपास के प्रदेशों में जून तक पहुंच जाता है, पिछले वर्ष देशभर में सामान्य बारिश हुई थी। जुलाई के पहले सप्ताह तक दिल्ली-एनसीआर में मानसून दस्तक दे सकता है।
मौसम विभाग ने जारी किया ये अनुमान
मौसम विभाग के मताबिक 9 से 13 जून के बीच केरल, लक्षद्वीप, कनार्टक के तटवर्ती इलाके, कर्नाटक के दक्षिण में स्थित इलाके, कोंकण, गोवा, स्वराष्ट्र और कच्छ इलाकों में काफी तेज बारिश दर्ज की जा सकती है। मौसम विभाग ने कुछ इलाकों में लोगों को सतर्क रहने के लिए भी कहा है।
जानिए कितनी बारिश का क्या है मतलब
मौसम विभाग ने बारिश के कुछ पैमाने तय किए हैं। उदाहरण के तौर पर यदि किसी इलाके में 64.5 से 115.5 मिलीमीटर तक बारिश एक दिन में होती है तो इसे Heavy rain कहा जाता है। वहीं यदि 115.6 से 204.4 मिलीमीटर बारिश एक दिन में होती है तो इसे Very heavy rain कहा जाता है। वहीं यदि 204.4 मिलीमीटर से अधिक बारिश एक दिन में होती है तो इसे Extremely heavy rain कहा जाता है और इसके लिए अलर्ट जारी कर दिए जाते हैं।
अगले 52 दिनों तक समुद्र में नहीं जा पाएंगे 5000 मछली पकड़ने वाले जहाज
केरल के तट पर 52 दिन का प्रतिबन्ध रविवार मध्यरात्रि से शुरू होगा, जिसमें लगभग 5,000 मछली पकड़ने वाले जहाजों (ट्रॉलर) को तट के पास रहने से रोक दिया जाएगा क्योंकि इनकी उपस्थिति से मछलियों की प्रजनन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है। अधिकारी ने जानकारी देते हुए कि, "इन नियमों का उल्लंघन वाली किसी भी नाव पर 2 लाख 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।"
हालांकि, 1988 के बाद से हर साल लगाए जाने वाला यह प्रतिबंध पारंपरिक मछुआरों पर प्रभावी नहीं होगा। प्रदेश सरकार के एक मत्स्य अधिकारी ने प्रेस वालों से बात करते हुए कहा है कि तटीय जल में मछली पकड़ने वालों (ट्रॉलरों) पर बैन लगा दिया गया है। यह वह वक़्त है जब मछलियां प्रजनन करती हैं और उस प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी समुद्री धन को तबाह करती है।
तटीय प्रदेश केरल में प्रतिबंध के परिणाम स्वरूप मछली की कीमत बढ़ जाएगी। केरल में 200 से ज्यादा गांव समुद्र में मछली पकड़ने का काम करते हैं। यहां सात लाख से ज्यादा मछुआरे रहते हैं। आपको बता दें कि केरल की आमदनी का मुख्य स्त्रोत मछलियों पर ही निर्भर करता है, जिसके चलते यहाँ की सरकार इसके लिए समय समय पर उचित कदम उतरी रहती है।
बारिश न होने से 20 लाख लोगों पर मंडरा रहा मौत का खतरा
भारत के बाहर भी कई ऐसे देश हैं जहां बारिश की कमी ने चिंताजनक हालात पैदा कर दिए हैं। सोमालिया जैसे देश में तो बारिश न होने के कारण पड़े सूखे की वजह से 20 लाख लोगों पर मौत का खतरा मंडरा रहा है। हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि संयुक्त राष्ट्रसंघ ने दुनिया के तमाम देशों से सोमालिया के लोगों की जान बचाने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के एक आपात राहत समन्वयक ने कहा कि यदि सोमालिया को तुरंत अंतरराष्ट्रीय मदद नहीं भेजी गई तो गर्मी के मौसम के अंत तक 20 लाख से अधिक पुरुष, महिलाएं और बच्चों की भुखमरी से मौत हो सकती है। यूएन के अंडरसेक्रेटरी जनरल मार्क लोकॉक ने कहा कि सूखा पड़ने के बाद सोमालिया को करीब 70 करोड़ डॉलर की जरूरत है। बारिश नहीं होने से पशुओं की मौत हो रही है और फसल बर्बाद हो चुकी है।
भारत समेत दुनिया के कई देशों में जलसंकट की गंभीर होती जा रही स्थिति के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी पर तुरंत गौर करने की जरूरत है। भारत में, जहां कई राज्यों में जलसंकट की स्थिति पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले गंभीर होती जा रही है, सरकार को फौरन कारगर योजना बनानी होगी, ताकि सोमालिया जैसे हालात न बनें।