भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में हुआ इतना इजाफा, जिससे 14 करोड़ लोगों में प्रत्येक को मिल सकते हैं 94,045 रु.
भारत के 100 अरबपतियों की संपत्ति में पिछले साल मार्च के बाद से अबतक 12,97,822 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के बीच मार्च, 2020 से लेकर अभी तक भारत के 100 टॉप अरबपतियों की संपत्ति में 12,97,822 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। इस राशि में से 13.8 करोड़ भारतीयों में से प्रत्येक को 94,045 रुपये दिए जा सकते हैं। ऑक्सफैम रिपोर्ट (Oxfam report) की नवीनतम रिपोर्ट ‘असमानता वायरस’ में कहा गया है कि महामारी के दौरान मुकेश अंबानी ने एक घंटे में जितनी कमाई की है, उतना धन कमाने के लिए एक अकुशल श्रमिक को 10,000 साल लगेंगे। इतना ही मुकेश अंबानी की एक सेकेंड की कमाई के बराबर राशि के लिए उसे तीन साल लगेंगे।
रिपोर्ट में कोरोना वायरस महामारी को 100 सालों में दुनिया की सबसे खतरनाक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बताया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत के 100 अरबपतियों की संपत्ति में पिछले साल मार्च के बाद से अबतक 12,97,822 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। यह संपत्ति इतनी है कि इसे 13.8 करोड़ भारतीयों में से प्रत्येक को 94,045 रुपये मिल सकते हैं।
कुमार मंगलम बिड़ला, उदय कोटक, गौतम अडानी, अजीम प्रेमजी, सुनील मित्तल, शिव नाडर, लक्ष्मी मित्तल, साइरस पूनावाला और राधाकृष्णन दमानी जैसे अरबपति आर्थिक मंदी के बावजूद अधिक अमीर हुए हैं, जबकि इस दौरान अप्रैल, 2020 में प्रत्येक घंटे 1.7 लाख लोग अपना रोजगार खो रहे थे।
ऑक्सफैम के मुताबिक अमीर लोगों की संपत्ति के आंकड़ें फोर्ब्स 2020 अरबपति लिस्ट से जुटाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में 35 प्रतिशत और 2009 से लेकर अबतक 90 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। भारत के टॉप 100 अरबपतियों की कुल संपत्ति 422.9 अरब डॉलर है। इस मामले में अमेरिका, चीन, जर्मनी, रूस और फ्रांस के बाद भारत का छठवां स्थान है।
ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने अपने बयान में कहा कि इस रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है कि कैसे महामारी ने आर्थिक, जाति, रंग और लिंग भेद को और गहरा किया है। भारत ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लंबा और कठोर लॉकडाउन लगाया जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। इससे बेरोजगारी, भुखमरी, जबरन पलायन आदि को बढ़ावा मिला। संकट के इस दौर में बहुत से लोगों को अपनी रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ा, जबकि कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों ने अपने आप को पृथक कर लिया और निरंतर घरों से काम करते रहे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से भारत में सबसे ज्यादा असंगठित क्षेत्र के श्रमिक प्रभावित हुए, जिसमें 12.2 करोड़ में से 75 प्रतिशत ने अपना रोजगार खोया। इसके अलावा 300 से अधिक असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की मौत भूख, आत्महत्या, निकासी, रोड और रेल दुर्घटना, पुलिस बर्बरता और समय पर चिकित्सा देखभाल न मिलने की वजह से हुई।
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