नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में उद्योगपति प्रमोद मित्तल की याचिका का यह कहते हुये विरोध किया कि वह एक और विजय माल्या जैसा मामला नहीं होने देना चाहता है। प्रमोद मित्तल ने उसके पासपोर्ट को जब्त करने के आदेश को दरकिनार करने के लिये याचिका दायर की है। प्रमोद मित्तल के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। प्रमोद मित्तल इस्पात क्षेत्र के जाने माने उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल के छोटे भाई हैं। न्यायमूर्ति ए के चावला ने विदेश मंत्रालय को नोटिस जारी कर प्रमोद मित्तल की याचिका पर 16 अगस्त तक अपना पक्ष रखने को कहा है।
उच्च न्यायालय ने हालांकि मंत्रालय के आठ अगस्त के आदेश पर स्थगन नहीं दिया। विदेश मंत्रालय ने प्रमोद मित्तल को अपना पासपोर्ट सात दिन के भीतर संबंधित प्राधिकरण के सुपुर्द करने का आदेश दिया है। केन्द्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई ने इस साल मार्च में प्रमोद मित्तल और राज्य व्यापार निगम एसटीसी के पूर्व शीर्ष अधिकारी के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया। उनके इस कृत से सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी को 2,112 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
यह मामला सार्वजिनक उपक्रम एसटीसी की शिकायत पर ही दर्ज किया गया। ग्लोबल स्टील होल्डिंग्स के पूर्व चेयरमैन प्रमोद मित्तल की याचिका उनके प्रतिनिधि उदय प्रताप सिंह के मार्फत दायर की गई। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और सिद्धार्थ लूथरा प्रमोद मित्तल की तरफ से अदालत में उपस्थित हुये और उन्होंने 16 मई के उस कारण बताओ नोटिस को स्थगित करने और निरस्त करने की अपील की जिसमें मित्तल से पूछा गया कि क्यों न उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया जाये। मित्तल ने कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया इसलिये संबंधित प्राधिकरण ने आठ अगस्त को पासपोर्ट जब्त करने का आदेश जारी कर दिया।
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