पाक के साथ हुआ युद्ध तो भारत की अर्थव्यवस्था हो जाएगी एक दशक पीछे, छिन जाएगा फास्टेस्ट ग्रोइंग इकोनॉमी का टैग
यदि भारत पाक के साथ युद्ध करता है तो सबसे पहले जिस चीज की बलि चढ़ेगी वह होगी, भारत को मिले दुनिया में सबसे तेज विकसित होती अर्थव्यवस्था का तमगा।
नई दिल्ली। जम्म-कश्मीर के उरी में इंडियन आर्मी ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर हुए आतंकी हमले के बाद ट्विटर, फेसबुक, अखबारों के संपादकीय और टीवी बहस में वाक युद्ध छिड़ा हुआ है। यदि भारत पाक के साथ युद्ध करता है तो सबसे पहले जिस चीज की बलि चढ़ेगी वह होगी, भारत को मिले दुनिया में सबसे तेज विकसित होती अर्थव्यवस्था का तमगा। यदि आज की स्थिति में पाकिस्तान के साथ युद्ध होता है तो भारत की अर्थव्यवस्था एक दशक पीछे चली जाएगी।
डबल डिजिट ग्रोथ रेट की ओर बढ़ रहा है देश
- बिना युद्ध की स्थिति में, 2016-17 में जीडीपी की वर्तमान ग्रोथ 8 फीसदी है, नीति आयोग के मुताबिक ग्रोथ का यह ट्रेंड आगे भी बना रहेगा। अगले साल अप्रैल से जीएसटी लागू होने से 2019 तक जीडीपी में 2 फीसदी का अतिरिक्त इजाफा होगा।
- बेहतर सिंचाई वाली ग्रामीण अर्थव्यवस्था से अतिरिक्त 1 फीसदी जीडीपी ग्रोथ हासिल की जा सकती है।
- अगले 20 साल में दोहरे अंकों की वृद्धि के साथ भारत 2 लाख करोड़ डॉलर की वास्तविक इकोनॉमी बन सकती है और अगले दो दशक में इसका स्टॉक मार्केट कैपिटालाइजेशन भी 2 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। लेकिन यह तभी होगा, जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध न हो।
आकड़ों में जानिए क्या होगा अगर हुआ युद्ध
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मार्केट पर पड़ेगा बुरा असर
- युद्ध से हमारी जीडीपी पर बोझ पड़ेगा। 2016 में युद्ध में प्रति दिन की लागत तकरीबन 5,000 करोड़ रुपए होगी।
- एक अनुमान के मुताबिक 1999 में हुए कारगिल युद्ध में प्रति हफ्ते का खर्च 5000-10000 करोड़ रुपए था।
- 14 दिन तक चले इस युद्ध की अगर आज लागत निकालें तो यह 2,50,000 करोड़ रुपए होगी।
- इतना ही नहीं इससे देश का राजकोषीय घाटा तकरीबन 50 फीसदी बढ़कर 8 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा, जो 2015-16 में 5.32 लाख करोड़ रुपए था।
- इस काल्पनिक युद्ध का महंगाई दर पर भी अच्छा खासा असर पड़ेगा।
- इतना ही नहीं यह एफडीआई और एफआईआई इन्वेस्टमेंट के बढ़ते ट्रेंड को भी नष्ट कर देगा, शेयर मार्केट 50 फीसदी टूट जाएंगे, डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 100 के करीब पहुंच जाएगा।
- हमारी हाई टेक मैन्युफैक्चरिंग को झटका लगेगा और निकट भविष्य में सुधार के अवसरों को पूरी तरह नष्ट कर देगा।
युद्ध नहीं अन्य विकल्पों पर हो गौर
- भारत अपने सुरक्षात्मक हमले को बढ़ा सकता है, जिसकी वकालत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल भी करते हैं, इससे भारत के कानूनी रूप से अधिकृत पीओके और गिलकिट-बालतिस्तान में आतंकियों का सफाया करने में मदद मिलेगी।
- बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के हम तब तक पक्षधर बने रह सकते हैं जब तक कि इसमें सफलता नहीं मिल जाती।
- इस क्षेत्र के स्वतंत्र होने के बाद एक बहुत बड़ी सफलता मिलेगी और अन्य रीजन जैसे एनडब्ल्यूएफपी और सिंध भी स्वतंत्र होने की मांग करेंगे।
- हम इन क्षेत्रों को लंबे समय तक आदमी, सामग्री, प्रशिक्षण, राजनयिक और आर्थिक सहायता उपलब्ध करवा सकते हैं।
- इसके लिए हम गैर राजनायिक लोगों जैसे विशेष जासूस, सैनिक, कमांडो आदि का उपयोग कर सकते हैं।
- यह ठीक उसी तरह होगा, जैसा कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ पिछले तीन दशकों से करता आ रहा है।
- यह धीमा बम चीन को पाकिस्तान के करीब आने और हम पर आरोप लगाने से रोकने में काफी मददगार होगा।
डिप्लोमैटिक रास्ते से हो हमला
- इसके अलावा, हमारा डिप्लोमैटिक कदम होना चाहिए कि पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करवाया जाए।
- इस पर न केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी प्रतिबंध लगाएं, बल्कि सार्क में अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रतिबंध लगाएं।
- पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगने से भी आतंकवादी हमलों में कुछ हद तक कमी लाई जा सकती है।
(यह लेख गौतम मुखर्जी ने लिखा है। वह एक कमेंटेटर और त्वरित विश्लेषक हैं। यह उनके अपने विचार हैं, जिसे उन्होंने दि क्विंट के साथ साझा किए हैं। यह लेख दि क्विंट से अनुवादित है।)