नई दिल्ली। भारत में ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों के लागू होने के बाद दिग्गज रिटेल कंपनी वॉलमार्ट हाल ही में खरीदी गई ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट से बाहर निकल सकती है। मॉर्गन स्टेनले ने अपनी एक रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा है कि वॉलमार्ट के बाहर निकलने की संभावना है, क्योंकि भारतीय ई-कॉमर्स बाजार अधिक जटिल होता जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट गाथा में वही हो सकता है, जैसा अमेजन के साथ चीन में साल 2017 के आखिर में हुआ था। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेजन द्वारा साल 2017 के अंत में चीन से निकलना ऐसा ही एक उदाहरण है, जहां कंपनी ने पाया कि वहां का मॉडल उनके लिए सही काम नहीं कर रहा है।
बयान में कहा गया कि हमारा अनुमान है कि फ्लिपकार्ट के राजस्व का 50 प्रतिशत उन्ही श्रेणियों से प्राप्त होता है, जिस पर रोक लगाई गई है। इसका मतलब यह है कि फ्लिपकार्ट निकट अवधि में भारी दवाब का सामना करेगा। मॉर्गन स्टेनले ने कहा कि नए एफडीआई नियमों के तहत फ्लिपकार्ट को अपने प्लेटफॉर्म से 25 प्रतिशत सामानों को हटाने की जरूरत होगी, जिसमें स्मार्टफोंस और इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान शामिल हैं, जबकि इन सामानों की भारी बिक्री होती है।
ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए नए एफडीआई नियमों के 1 फरवरी से लागू होने के बाद भारत में दोनों कंपनियों के ई-कॉमर्स के परिचालन में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। इन नियमों के तहत ऑनलाइन रिटेलर्स को अपने-अपने प्लेटफॉर्म पर एक्सक्लूसिव रूप से किसी रिटेलर के उत्पादों की बिक्री करने से रोक दिया गया है।
साथ ही वाणिज्य मंत्रालय ने नए नियमों में ऑनलाइन रिटेल कंपनियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों को प्रभावित करने से मना किया है, ताकि सभी सेलर्स के लिए समान अवसर उपलब्ध रहें।
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