नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जर्मनी की कार कंपनी फॉक्सवैगन को कारों में कथित तौर पर धुआं कम दर्शाने वाले विवादित सॉफ्टवेयर लगाने के मामले में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में 19 मई तक शपथपत्र दाखिल करने को कहा है।
न्यायमूर्ति एम.एस. नाम्बियार और विशेषज्ञ सदस्य बी एस सजवाण की पीठ ने ऑटोमोबाइल कंपनी से पूछा, आपने पिछले साल दिसंबर में 3,23,700 वाहनों को वापस मंगाने की घोषणा की थी। अब तक आपने इन वाहनों को वापस क्यों नहीं लिया? आप अपने वाहनों में समस्या को ठीक करने के लिए क्या कर रहे हैं? फॉक्सवैगन की कारों में प्रदूषण जांच को धोखा देने के लिये एक विशेष प्रकार का सॉफ्टवेयर लगाया गया था। जांच के समय यह सॉफ्टवेयर प्रदूषण मामले में कार के प्रदर्शन को बदल देता था जिससे कार प्रदूषण जांच में सफल हो जाती थी।
जर्मनी की कार कंपनी फॉक्सवैगन की भारतीय इकाई ने हालांकि, अपनी कारों में इस तरह की धोखाधड़ी वाला सॉफ्टवेयर लगाए जाने से इनकार किया है। कंपनी को भारत में उत्सर्जन मानकों के उल्लंघन को लेकर एनजीटी से तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। पीठ ने कंपनी से उसके पहले के बयान पर भी सवाल पूछे। कंपनी ने पहले कहा था कि सड़क पर उसकी कारों का उत्सर्जन भारत मानक-चार नियमों के मुकाबले 1.1 से लेकर 2.6 गुणा अधिक रहा है। कंपनी के लिए पेश अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि वाहनों का वापस बुलाने की प्रक्रिया काफी लंबी है और इसमें कुछ समय लगेगा। अधिवक्ता ने कहा कि कंपनी एक नया सॉफ्टवेयर विकसित कर रही है और इस बारे में वह ऑटोमोटिव रिसर्च ऐसोशिएशन ऑफ इंडिया में प्रस्ताव सौंपेगी।
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