नई दिल्ली। 20 हजार करोड़ रुपये के रेट्रो टैक्स केस मामले में वोडाफोन भारत के खिलाफ आर्बिट्रेशन का केस जीत लिया है। आर्बिट्रेशन पर हेग स्थित स्थाई न्यायालय ने कहा कि आयकर विभाग का कदम न्यायसंगत और निष्पक्ष व्यवहार का उल्लंघन है। रॉयटर्स के में सूत्रों के हवाले से दी गई रिपोर्ट के मुताबिक न्यायलय ने कहा कि वोडाफोन पर टैक्स की देनदारी भारत और नीदरलैंड के बीच निवेश समझौते का उल्लंघन है।
कोर्ट के मुताबिक ये देखते हुए कि वोडाफोन के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद वोडाफोन पर रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स लगाना दोनो पक्षों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन है। हेग कोर्ट ने भारत को कहा है कि वो वोडाफोन को 40 करोड़ रुपये वापस करे। वोडाफोन साल 2016 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में मामले को लेकर पहुंची थी। इसे देखते हुए जून 2016 में एक ट्राइब्यूनल गठित की गई थी। वोडाफोन ने भारत के उस फैसले का विरोध किया था , जिसमें सरकार ने 2012 के कानून का सहारा लेकर 2007 में वोडाफोन के द्वारा हच के साथ 11 अरब डॉलर की अधिग्रहण डील पर टैक्स लगाया था। टेलीकॉम कंपनी ने भारत के द्वारा 7990 करोड़ रुपये के कैपिटल गेंस टैक्स की मांग को चुनौती दी थी। ये रकम ब्याज और पेनल्टी के साथ बढ़कर 22 हजार करोड़ रुपये हो गई थी।
वोडाफोन को इस मामले में 2007 में टैक्स अधिकारियों के द्वारा नोटिस मिला था। जिसके बाद कंपनी के मुताबिक 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला लिया ता। हालांकि सरकार ने फाइनेंस एक्ट 2012 के जरिए रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स की मांग की थी। वोडाफोन को साल 2013 में 14200 रुपये की टैक्स की मांग मिली थी। जिसमें मूलधन और ब्याज जोड़ा गया था, हालांकि इसमें पेनल्टी नहीं थी। फरवरी 2016 में कंपनी को 22100 करोड़ रुपये टैक्स चुकाने का नोटिस मिला था। जिसके बाद कंपनी ने इंटरनेशनल कोर्ट का रुख किया।
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