मुंबई। सार्वजनिक क्षेत्र के विजया बैंक ने अनिल अंबानी समूह की अगुवाई वाली रिलायंस नैवल एंड इंजीनियरिंग के कर्ज खाते को मार्च तिमाही से गैर निष्पादित आस्ति (NPA) घोषित कर दिया है। पहले इस कंपनी का नाम पीपावाव डिफेंस एंड आफशोर इंजीनियरिंग था। अनिल अंबानी ग्रुप ने 2016 में इसका अधिग्रहण किया था और इसे रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग का नाम दिया था।
कंपनी पर IDBI बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के गठजोड़ का 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बकाया है। इनमें से ज्यादातर सरकारी बैंक हैं। बेंगलुरु के विजया बैंक ने कहा कि रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 12 फरवरी को लाए बदलावों के तहत यह कदम जरूरी है। केंद्रीय बैंक जो NPA निपटान ढांचा लेकर आया है उसके तहत मौजूदा सभी व्यवस्थाओं को रद्द कर दिया गया है। इसमें ऋण पुनर्गठन भी शामिल है। इसमें बैंकों से कहा गया है कि वे एक दिन की चूक को भी डिफाल्ट मानें। यदि 180 दिन में इसका भुगतान नहीं होता है तो मामले को दिवाला प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) के पास भेजा जाना चाहिए।
विजया बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी बैंकों के पास रिलायंस नैवल सहित कुछ खाते एसडीआर और एस 4 ए जैसी विभिन्न पुनर्गठन योजनाओं के तहत थे। 12 फरवरी के सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि जिन खातों का पुनर्गठन नहीं हो सकता है उन्हें एनपीए माना जाएगा। अधिकारी ने कहा कि रिलायंस नैवल पुनर्गठन (SDR) के तहत थी, लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हो सका , जिससे मार्च तिमाही में यह NPA में आ गया।
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