नई दिल्ली। प्रमुख शराब कारोबारी विजय माल्या ने यूनाइटेड स्प्रिट्स से हटने के लिए डायजियो के साथ जिस 515 करोड़ रुपए के सौदे की घोषणा की थी वह बाजार नियामक सेबी को खटक गया है। सेबी इस सौदे की गहरी जांच करेगा और उसने इसमें कॉरपोरेट संचालन तथा अन्य नियमों के संभावित उल्लंघन की पड़ताल शुरू कर दी है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इस सौदे में यूनाइटेड स्प्रिट्स (यूएसएल) व इसके मुख्य प्रवर्तक डायजियो पीएलसी, लंदन के साथ-साथ माल्या व उनके समूह की फर्मों की भूमिका की पड़ताल कर रहा है, जो कि यूनाइटेड स्प्रिट्स की अंशधारक रहीं या हैं।
सेबी इस सौदे की जटिलताओं की पड़ताल कर रहा है और शीघ्र ही यूएसएल, डायजियो, माल्या व अन्य से ब्योरा मांग सकता है। इसके साथ ही नियामक यूएसएल के शेयरों में कारोबारी आंकड़ों की भी जांच कर रहा है, ताकि यह देखा जा सके कि भेदिया कारोबार संबंधी नियमों का कोई उल्लंघन तो नहीं हुआ या किसी तरह की अन्य अनियमितता तो नहीं हुई। अधिकारी ने कहा कि इस सौदे की जांच में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय तथा अन्य एजेंसियां भी शामिल हो सकती हैं, क्योंकि इस सौदे में कंपनी संचालन से जुड़े नियमों के अक्षरश: पालन को लेकर गहरा संदेह है।
उल्लेखनीय है कि माल्या व उनके यूबी समूह तथा अन्य के खिलाफ यूएसएल में कथित वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में पहले ही जांच चल रही है। सेबी सूचीबद्धता नियमों के उल्लंघन को लेकर विभिन्न यूबी समूह फर्मों की जांच कर रहा है। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय भी कंपनी कानून की कई धाराओं के कथित उल्लंघन की जांच कर रहा है। इस नए घटनाक्रम के मद्देनजर कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय भी मामले की जांच कर सकता है। उल्लेखनीय है कि इस सौदे के तहत माल्या ने यूएसएल के चेयरमैन व कार्यकारी निदेशक पद से हटने की घोषणा की है। डायजियो इसके लिए माल्या को 7.5 करोड़ डॉलर (515 करोड़ रुपए) देगी। इसके साथ ही कंपनी ने पूर्व की कथित वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में सभी देनदारियों से भी माल्या को अलग करने की पेशकश की है। उल्लेखनीय है कि कारोबार की दुनिया में इस तरह के निकासी के समझौते को गोल्डन पैराशूट या स्वीटहार्ट डील भी कहा जाता है।
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