नई दिल्ली। टाटा संच के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री ने बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) द्वारा उन्हें फिर से टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने के फैसले को केवल अपनी व्यक्तिगत जीत ही नहीं बल्कि सुशासन के सिद्धांतों और अल्पसंख्यक शेयरधारकों के अधिकारों की जीत बताया।
अतीत की कड़वाहट को भुलाने की अपील करते हुए मिस्त्री ने एक बयान में कहा कि अब समय है कि हम सभी मिलकर टाटा ग्रुप की एक संस्था के सतत विकास के लिए काम करें। पिछले 50 से अधिक वर्षों से मिस्त्री परिवार टाटा संस का महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक शेयरधारक है।
मिस्त्री ने कहा कि टाटा समूह को एक संस्था के रूप में समृद्ध करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है व्यक्तिगत कंपनियों का प्रबंधन, उनके बोर्ड, टाटा संस का प्रबंधन, टाटा संस का बोर्ड और टाटा संस के शेयरधारक, सभी एक मजबूत प्रशासन ढांचे के भीतर सामंजस्यपूर्ण ढंग से काम करें, जो सभी हितधारकों, शेयरधारकों, निवेशकों और टाटा समूह के कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करता है, यह समूह की सबसे मजबूत संपत्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
न्यायाधिकरण के फैसले पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अपीलीय न्यायाधिकरण का फैसला मेरे डटकर खड़े रहने का परिणाम है, जब टाटा संस के तत्कालीन बोर्ड ने बिना किसी चेतावनी या कारण के मुझे हटा दिया, पहले कार्यकारी चेयरमैन के पद से और बाद में टाटा संस के निदेशक के पद से।
उन्होंने आगे कहा कि कार्यकारी चेयरमैन के रूप में मेरा प्रयास हमेशा एक ऐसी संस्कृति और प्रक्रिया को स्थापित करने का रहा है, जो दीर्घावधिक प्रतिभागी मूल्य पैदा करने, सतत लाभ और विकास के लिए प्रभावी बोर्ड प्रशासन को बढ़ावा दे।
साइरस मिस्त्री की बड़ी जीत के रूप में एनसीएलएटी ने बुधवार को अपने फैसले में उन्हें टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल किया है और एन. चंद्रशेखरन की नियुक्त को अवैध करार दिया है।
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