नई दिल्ली। मंडियों में आवक कम होने से सब्जियों के दाम पिछले तीन-चार महीने में 100 प्रतिशत तक चढ़ गए हैं। हालांकि, थोक और खुदरा बाजार में भारी अंतर होने की वजह से भी सब्जियां महंगी हुई हैं। उद्योग मंडल एसोचैम की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष सामने आया है। इसमें कहा गया है कि लघु अवधि में उत्पादन का मौसम भी समाप्त हो रहा है इससे सब्जियों की बाजार में आवक पर दबाव और बढ़ सकता है। लेकिन थोक और खुदरा मूल्यों में बढ़ते अंतर की वजह से भी खुदरा बाजार में दाम काफी ऊंचे हैं।
एसोचैम के अनुसार अप्रैल-जुलाई अवधि में मंडियों में कम आवक की वजह से सब्जियों के दाम 100 प्रतिशत चढ़ गए हैं। एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, सब्जियों के थोक और खुदरा दामों में भारी अंतर है। अखिल भारतीय स्तर पर खुदरा व्यापारी सब्जियों को उनके थोक मूल्य से 52.7 प्रतिशत अधिक पर बेच रहे हैं। खुदरा स्तर पर अप्रैल-जुलाई अवधि में आलू के दाम वर्ष 2015 की समान अवधि से 100 प्रतिशत चढ़ गए हैं। इसी तरह पत्ता गोभी के दाम 49.3 प्रतिशत, मिर्च के 47.8 प्रतिशत, लहसुन 37 प्रतिशत, फूल गोभी 33.9 प्रतिशत, टमाटर स्थानीय 26 प्रतिशत, टमाटर हाइब्रिड 25.6 प्रतिशत, टमाटर ताजा 25 प्रतिशत, भिंडी 22.3 प्रतिशत तथा बैंगन गोल के दाम 20.8 प्रतिशत बढ़े हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यह चिंताजनक स्थिति के संकेत हैं, क्योंकि अधिक उत्पादन के सीजन में भी आवक घटी है। जहां तक थोक और खुदरा कीमतों में अंतर का सवाल है, तो बैंगन गोल के मामले में यह 75 प्रतिशत तक बढ़ी है, जबकि देसी टमाटर के मामले में इसमें 62 प्रतिशत का उछाल आया है।
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