नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने घरेलू स्तर पर तिलहन किसानों को अच्छा दाम दिलाने के लिए विदेशों से आयात होने वाले तेल और तिलहन पर आयात शुल्क तो बढ़ाया है लेकिन इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा। आयात शुल्क बढ़ने के बावजूद जनवरी के दौरान देश में वनस्पति तेल के आयात में करीब 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। तेल और तिलहन उद्योग के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन की तरफ से जारी किए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
जनवरी में 25 प्रतिशत बढ़ा आयात
आंकड़ों के मुताबिक जनवरी के दौरान देश में कुल 12,91,141 टन वनस्पति तेल का आयात हुआ है, जिसमें 12,46,847 टन खाद्य वनस्पति तेल है और बाकी गैर खाद्य। पिछले साल जनवरी के दौरान देश में 10,28,859 टन वनस्पति तेल का आयात दर्ज किया गया था।
पाम ऑयल का सबसे ज्यादा आयात
आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में आयात हुए वनस्पति तेल में 8,34,444 टन पाम ऑयल, 2,24,870 टन सोयाबीन ऑयल, 1,70,831 टन सूरजमुखी ऑयल और 16,702 टन सरसों तेल है। कुल आयात तेल में 67 प्रतिशत हिस्सेदारी पाम ऑयल की है और बाकी 33 प्रतिशत हिस्सेदारी अन्य तेलों की है।
सरकार ने दिसंबर में बढ़ाया है आयात शुल्क
इस साल खरीफ सीजन के दौरान देश में तिलहन की अच्छी पैदावार हुई है और चालू रबी सीजन के दौरान भी पैदावार अच्छी रहने का अनुमान है। घरेलू स्तर पर पैदा होने वाले तिलहन के लिए किसानों को अच्छा दाम मिल सके इसके लिए सरकार ने दिसंबर के दौरान विदेशों से आयात होने वाले तेल और तिलहन पर आयात शुल्क में जोरदार बढ़ोतरी की थी। सोयाबीन पर आयात शुल्क को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत, क्रूड पाम ऑयल पर 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत, रिफाइंड पाम ऑयल पर 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत, सूरजमुखी ऑयल पर 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया था। लेकिन इसके बावजूद देश में खाने के तेल में जोरदार बढ़ोतरी हुई है।
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