नौकरी के लिए अमेरिका जाना अब पड़ेगा महंगा, एच1-बी और एल-1 वीजा की फीस हुई डबल
अमेरिका की संसद ने भारत की आपत्ति के बावजूद लोकप्रिय एच-1बी तथा एल-1 वीजा पर विशेष शुल्क दोगुना कर 4,500 डॉलर तक कर दिया है।
नई दिल्ली। नौकरी के लिए अमेरिका जाना अब भारतीयों के लिए महंगा हो गया है। अमेरिकी संसद ने भारत की आपत्ति के बावजूद अपने 9-11 स्वास्थ्य देखभाल कानून तथा बायोमेट्रिक ट्रेकिंग प्रणाली के लिए धन जुटाने हेतु लोकप्रिय एच-1बी तथा एल-1 वीजा पर विशेष शुल्क दोगुना कर 4,500 डॉलर तक कर दिया है। इस कदम से भारतीय आईटी कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी।
अमेरिकी संसद के नेताओं ने अगले सितंबर में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए 1,100 अरब डॉलर के खर्च वाले विधेयक पर सहमति के एक पैकेज के तहत एच-1बी वीजा की कुछ श्रेणियों पर 4,000 डॉलर तथा एल-1 वीजा पर 4,500 डॉलर का विशेष शुल्क लगाने का फैसला किया है। विशेष शुल्क प्रावधान से एक अरब डॉलर सालाना प्राप्त होने की उम्मीद है और इसका उपयोग बायोमेट्रिक प्रवेश तथा निकासी निगरानी प्रणाली के वित्त पोषण पर किया जाएगा। इसके अलावा इस राशि का उपयोग 9-11 घटना में प्रभावित लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए बने कानून के क्रियान्वयन में किया जाएगा।
विधेयक के अनुसार नया 4,000 डॉलर का शुल्क उन कंपनियों पर लागू होगा, जिनमें कम-से-कम 50 कर्मचारी होंगे और इसमें 50 फीसदी के पास एच-1बी या एल-1 वीजा होगा। ऐसी कंपनियों को एच-1बी वीजा के लिए 4,000 डॉलर तथा एल-1 वीजा के लिए 4,500 डॉलर देने होंगे। हालांकि इस विधेयक के प्रावधानों में भारतीय आईटी कंपनियों का जिक्र नहीं है लेकिन विधेयक की भाषा इस रूप में लिखी गई है कि इससे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
विधेयक से जुड़े सांसदों ने हालांकि इसे अस्थायी प्रावधान बताया है, नया एच-1बी तथा एल-1 वीजा शुल्क में वृद्धि 10 साल के लिए है, जो पूर्व के प्रावधान के अनुसार पांच वर्ष था। पूर्व के प्रावधान के अनुसार 2010 से 2015 के लिए एच-1बी वीजा के लिए शुल्क 2,000 डॉलर था। यह प्रावधान 30 सितंबर को समाप्त हो गया।
भारतीय आईटी कंपनियों के शीर्ष मंच नासकॉम ने सितंबर में जारी एक अध्ययन में कहा कि भारतीय आईटी कंपनियों ने इस मद में करीब 7.0 से 8.0 करोड़ डॉलर सालाना का भुगतान किया है। अमेरिका में इस नए प्रावधान से अगले एक दशक तक हर साल 1.4 अरब डॉलर से 1.6 अरब डॉलर जुटाए जाने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीजा फीस के मामले को कल अमेरिकी राष्ट्रपति के समक्ष उठाया था। बराक ओबामा ने उन्होंने पेरिस में जलवायु सम्मेलन में ऐतिहासिक समझौते में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका के लिए धन्यवाद देने के लिए फोन किया था।