नयी दिल्ली। अमेरिका भारत में प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) का दूसरा प्रमुख स्रोत हो गया है और उसने मॉरीशस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया है। सिंगापुर प्रथम स्थान पर बना हुआ है। उद्योग एवं आतंरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 में अमेरिका से भारत को 13.82 अरब डॉलर का एफडीआई प्राप्त हुआ। इस दौरान सिंगापुर से प्राप्त एफडीआई 17.41 अरब डॉलर रहा। वर्ष के दौरान मॉरीशस से 5.64 अरब डॉलर का एफडीआई प्राप्त हुआ।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 के दौरान भारत में एफडीआई 19 प्रतिशत बढ़कर 59.64 अरब डॉलर के बराबर रहा। सरकार ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इस दौरान कई नीतिगत सुधार , निवेश की सुविधा तथा कारोबार में और आसानी के लिए कई कदम उठाये हैं। यदि इसमें पहले के एफडीआई निवेशकों द्वारा पूंजी और लाभ के पुनर्निवेश को जोड़ दे तो वर्ष 2020-21 में कुल एफडीआई 81.72 अरब डॉलर के बराबर रहा जोकि 2019-20 के 74.39 अरब डॉलर से दस प्रतिशत अधिक है।
भारत में एफडीआई के प्रमुख स्रोत इस प्रकार हैं
- सिंगापुर 17.41 अरब डॉलर
- अमेरिका 13.82 अरब डॉलर
- मॉरीशस 5.64 अरब डॉलर
- संयुक्त अरब अमीरात 4.2 अरब डॉलर
- केमैन आइलैंड 2.79 अरब डॉलर
- नीदरलैंड 2.78 अरब डॉलर
- ब्रिटेन 2.04 अरब डॉलर
- जापान 1.95 अरब डॉलर
- जर्मनी 66.7 करोड़ डॉलर
- साइप्रस 38.6 करोड़ डॉलर
आईटी सेक्टर में सबसे ज्यादा एफडीआई
पिछले वित्त वर्ष के दौरान कंप्यूटर, सॉफ्टेयर और हार्डवयर क्षेत्र 26.14 अरब डॉलर के निवेश के साथ एफडीआई आकर्षित करने के मामले में सबसे ऊपर रहा। उसके बाद बुनियाद ढांचा (7.87 अरब डॉलर) और सेवा क्षेत्र (पांच अरब डॉलर) का स्थान रहा।
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