वाशिंगटन। अमेरिकी सीनेट में पेश हुए एक विधेयक ने US जाने वाले भारतीयों खासतौर पर सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सीनेट के दो सदस्य डैमोक्रेटिक पार्टी के बिल नेल्सन और रिपब्लिकन पार्टी के जेफ सेशंस ने एच-1बी वीजा की संख्या 15,000 कम करने का प्रस्ताव करते हुए एक विधेयक पेश किया है। अमेरिका में लंबे समय से भारत और दूसरे देशों के प्रोफेशनल्स की बढ़ती संख्या को लेकर विरोध हो रहा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि इस किस्म का वीजा पहले सबसे अधिक वेतन की नौकरी के लिए दिया जाए।
अमेरिकी कंपनियों की भी बढ़ेंगी मुश्किलें
यदि अमेरिकी सीनेट से इस विधेयक को मंजूरी मिल जाती है, तो इससे न सिर्फ भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों और प्रोफेशनल्स की मुश्किलें बढ़ेंगी। वहीं इससे अमेरिकी कंपनियों के लिए सस्ते विदेशी कर्मचारियों को अनुबंधित करने में मुश्किल होगी। सीनेट में बिल पेश करने वाले नेल्सन ने कहा, हर साल उपलब्ध वीजा की संख्या में कटौती कर एवं उच्चतम वेतन पाने वालों को सबसे पहले इस तरह का वीजा देकर यह विधेयक सीधे तौर पर उन आउटसोर्सिंग कंपनियों को लक्ष्य बनाएगा जो समान रूप से पात्र अमेरिकी कामगारों की जगह कम वेतन पर विदेशी कामगारों पर निर्भर करती हैं।
हर साल जारी होते हैं 85,000 एच1बी वीजा
वर्तमान में प्रत्येक वर्ष अधिकतम 85,000 एच-1बी वीजा जारी किए जा सकते हैं जिसमें 20,000 उन लोगों के लिए हैं जिन्होंने साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग एवं गणित में उच्च शिक्षा पूरी की हो। प्रस्तावित विधेयक के कानून बनने पर गृह सुरक्षा विभाग के लिए यह आवश्यक होगा कि वह एच-1बी वीजा विदेशी कामगारों को उनकी तनख्वाह के आधार पर आबंटित करे और उंची तनख्वाह पर आने वालों को प्राथमिकता दे।
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