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भारत-चीन व्‍यापार पर अमेरिका की टेढ़ी नजर, विनिमय दर नीति पर भी बनाए हुआ है निगाहें

अमेरिका ने चीन के साथ-साथ भारत को भी उन देशों की सूची में शामिल कर दिया है जिनकी विनिमय दर नीति पर उसे शक है। यह जानकारी शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गयी है।

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वाशिंगटन। अमेरिका ने चीन के साथ-साथ भारत को भी उन देशों की सूची में शामिल कर दिया है जिनकी विनिमय दर नीति पर उसे शक है। यह जानकारी शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गयी है। अमेरिकी वित्त विभाग ने कहा है कि इस निगरानी सूची में वे देश शामिल हैं जिनके साथ उसका बड़ी मात्रा में व्यापार होता है और जिनकी विदेशी विनिमय दर नीतियों पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। विभाग द्वारा अमेरिकी संसद को प्रेषित इस छमाही रिपोर्ट के अनुसार इस सूची में भारत के अलावा पांच अन्य देश चीन, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया और स्विट्जरलैंड पिछले अक्‍टूबर से बने हुए हैं।

भारत के बारे में कहा गया है कि उसने (भारत ने) वर्ष 2017 की पहली तीन तिमाहियों में विदेशी विनिमय बाजार में खरीद बढ़ा रखी थी। फिर भी इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होता रहा। अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष (यानी अमेरिका का व्यापार घाटा) 23 अरब डॉलर के बराबर है।

अमेरिका इस निगरानी सूची में देशों को संसद को प्रेषित की जाने वाली रिपोर्ट की दो अवधियों तक रखता है ताकि यह आश्वस्त हुआ जा सके कि व्यवहार की कसौटी पर संबंधित देशों के आचरण में सुधार अस्थायी कारणों से नहीं बल्कि स्थायी तरह का है।

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि उसका कोई बड़ा व्यारिक भागीदार अपनी विनिमय नीति में हेराफेरी करता है, पर इस सूची के पांच देश तीन में से दो कसौटियों को पूरा करते हैं। छठे देश चीन को सूची में इस लिए रखा गया है क्यों कि उसके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा दूसरों के अनुपात में काफी ऊंचा है।

अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका का पूरा सालाना व्यापार घाटा 566 अरब डॉलर का है । इसमें से 337 अरब डॉलर का घाटा केवल चीन के साथ है।

अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीवन न्यूचिन ने एक बयान में कहा कि उनकी सरकार इस बड़े व्यापार घाटे के समाधान के लिए उपयुक्त नीतियों और सुधारों के लिए प्रोत्साहन करेगी। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि हम विनिमय दर को लेकर अनुचित व्यवहारों की निगरानी और उनसे निपटने के प्रयास करते रहेंगे।

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