उत्तर प्रदेश में जुलाई में राजस्व वसूली ने पकड़ी रफ्तार, जुटाए 10675 करोड़ रुपए
इससे पता चलता है कि अप्रैल, मई और जून में जो स्थिति थी उससे काफी बेहतर हालत में अब राज्य पहुंच गया है।
लखनऊ। कोरोना वायरस के कारण पिछले कुछ महीनों के दौरान लगे झटकों के बाद उत्तर प्रदेश में राजस्व वसूली ने रफ्तार पकड़ते हुए जुलाई माह में पिछले साल के 97.7 प्रतिशत हिस्से के बराबर वसूली कर ली है। प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने शनिवार को बताया कि जुलाई माह की समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि जुलाई माह में राजस्व वसूली का काम काफी बेहतर हुआ है। जुलाई 2019 में कुल 10926.36 करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्तियों के सापेक्ष इस साल जुलाई में 10675.42 करोड़ रुपए की वसूली हुई है।
तुलना करें तो पिछले साल के मुकाबले 97.7% का राजस्व जुलाई महीने में आया है। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि अप्रैल, मई और जून में जो स्थिति थी उससे हम काफी बेहतर हालत में पहुंच गए हैं। कोरोना की वजह से अप्रैल और मई में आर्थिक गतिविधियों में काफी शिथिलता आ गई थी लेकिन अब धीरे-धीरे करके हम उसे पटरी पर ला रहे हैं और सारी गतिविधियां फिर से उसी रफ्तार से चलने वाली हैं, जिस रफ्तार से फरवरी से पहले चल रही थीं।
खन्ना ने जुलाई 2019 और इस साल जुलाई के कुछ मदवार तुलनात्मक आंकड़े भी पेश किए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में जीएसटी के मद में 6564.88 करोड़ रुपए की प्राप्ति थी, जो इस साल कोरोना महामारी के बावजूद 6024 करोड़ 16 लाख रुपए है। राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) की वसूली पिछले साला के 1850.71 करोड़ के सापेक्ष इस साल 1799.81 करोड़ रुपए और आईजीएसटी 3011.87 के मुकाबले इस बार 2320.81 करोड़ रुपए रही।
खन्ना ने बताया कि इस साल वैट की मद में वसूली बढ़ी है। पिछले साल जुलाई में 1702.30 करोड़ की प्राप्त हुई थी लेकिन इस वर्ष यह 1903.54 करोड़ रुपए है। इसी तरह आबकारी, स्टांप, निबंधन तथा परिवहन में पिछले साल 4214.2 7 करोड़ की प्राप्ति थी, जो इस साल जुलाई में बढ़कर 4472.72 करोड़ रुपए रही। वित्त मंत्री ने बताया कि पिछले साल जुलाई में भूतत्व एवं खनिजकर्म की मद में 147.21 करोड़ रुपए की प्राप्ति थी, जो इस साल जुलाई में 178.54 करोड़ रुपए है।
खन्ना ने कहा कि बजट के संबंध में वित्तीय अनुशासन काफी हद तक बरकरार रखा गया है। हमने तमाम चीजों पर विपरीत परिस्थितियों के बावजूद समय से ध्यान दिया और वेतन देने में एक दिन भी देर नहीं की। इसके अलावा पेंशन वगैरह में भी किसी भी तरह की कोई कटौती नहीं की है। यह अपने आप में वित्तीय सुशासन को जाहिर करता है।