नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के लोगों को रोजगार और व्यवसाय के लिए दूसरे राज्यों की ओर नहीं देखना होगा। कोरोना और लॉकडाउन के दौरान 17 लाख से अधिक प्रवासी कामगारों को रोजगार उपलब्ध करा चुकी योगी सरकार अब उन्हें अपने शहर और गांवों में ही रोजगार और स्वरोजगार के बड़े अवसर उपलब्ध कराने जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में मुख्यमंत्री प्रवासी रोजगार योजना लागू की है।
क्या है योजना की खासियत
योजना के तहत प्रवासी कामगार केवल 5 फीसदी अंशदान कर अपना खुद का काम शुरू कर सकेंगे। योजना के तहत प्रवासी कामगार 50 लाख रुपये तक की इकाई लगा सकेंगे। परियोजना की लागत का 70 फीसदी हिस्सा बैंकों से लोन लिया जा सकेगा जबकि 25 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार अनुदान के रूप में वहन करेगी।
किसे मिलेगा योजना का फायदा
इसके तहत दूसरे राज्यों से वापस आए कामगारों को प्रदेश में कार्यरत औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की इकाइयों में रोजगार देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही योजना के तहत ऐसे प्रवासी कामगार, श्रमिक जो किसी काम जैसे इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, मैकेनिक, दर्जी, ड्राइवर, बुनाई, रंगाई आदि में स्किल्ड हैं और अपना खुद का रोजगार करने के लिए इच्छुक हैं, ऐसे कामगारों, श्रमिकों को स्वरोजगार इकाई परियोजनाएं स्थापित करने के लिए राज्य सरकार मदद करेगी।
क्या मिलेगा फायदा
मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार प्रवासी कामगारों, श्रमिकों को अपने गांव, शहर में खुद का उद्यम और सेवा व्यवसाय स्थापित करने के लिए 50 लाख तक की इकाई की स्थापना कराएगी। इन परियोजनाओं का वित्त पोषण बैंकों के माध्यम से कराया जाएगा। श्रमिकों, कामगारों को अपना 5 फीसदी स्वयं का अंशदान जमा करना होगा। ऐसे श्रमिकों, कामगारों को भी योजना के अन्तर्गत अनुमन्यता होगी, जो बैंक ऋण न लेकर ऋण की धनराशि अपने निजी श्रोतो से लगाने में सक्षम होंगे।
योजना का लाभ पाने के लिए क्या है शर्तें
स्वरोजगार लगाने और ऋण प्राप्त करने हेतु न्यूनतम कक्षा 8 पास होना अनिवार्य होगा। 10 लाख से अधिक की परियोजना के लिए हाई स्कूल उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। ऐसे प्रवासी श्रमिक कामगार जो बैंक ऋण न लेकर अपने श्रोतों से धनराशि लगाने में सक्षम होंगे, उनके लिए कक्षा-8 उत्तीर्ण की बाध्यता नहीं होगी। योजना के लिए आयु की सीमा 18 मे 59 वर्ष तय की गई है। आवेदन की ऑन-लाइन व्यवस्था होगी।
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