नई कृषि खरीद नीति को कैबिनेट ने दी मंजूरी, मंदी में भी किसानों को मिलेगा न्यूनतम समर्थन मूल्य
आम चुनाव से एक साल पहले किसानों को राहत देते हुए सरकार ने आज नई कृषि खरीद नीति को अपनी मंजूरी दे दी।
नई दिल्ली। आम चुनाव से एक साल पहले किसानों को राहत देते हुए सरकार ने आज नई कृषि खरीद नीति को अपनी मंजूरी दे दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नई कृषि खरीद नीति को मंजूरी प्रदान की गई। यह नीति बाजार मूल्य के सरकार द्वारा तय दाम से नीचे जाने पर भी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को सुनिश्चित करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई में नई कृषि खरीद नीति की घोषणा की थी। यह घोषणा सरकार द्वारा 22 फसलों के एमएसपी में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि करने के बाद की गई थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एथेनॉल की कीमत 25 प्रतिशत बढ़ाने को भी अपनी मंजूरी प्रदान की है।
इस साल बजट में सरकार ने घोषणा की थी कि वह किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए ‘फूलप्रूफ’ व्यवस्था बनाएगी। सरकार ने नीति आयोग से केंद्रीय कृषि मंत्रालय और राज्यों के साथ विचार विमर्श करके किसी प्रणाली के बारे में सुझाव देने को कहा था।
सूत्रों के अनुसार नई खरीद नीति पर कृषि मंत्रालय के प्रस्ताव ‘अन्नदाता मूल्य संरक्षण योजना’ को मंत्रिमंडल में विचार विमर्श को मंजूरी दे दी है। नई नीति में राज्य सरकारों को विकल्प होगा कि वे कीमतें एमएसपी से नीचे जाने पर किसानों के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं में से किसी का भी चयन कर सकें। सिर्फ तिलहन किसानों के संरक्षण के लिए मध्य प्रदेश की भावांतर भुगतान योजना की तर्ज पर मूल्य कमी भुगतान (पीडीपी) योजना शुरू की गई है।
पीडीपी के तहत सरकार किसानों को एमएसपी तथा थोक बाजार में तिलहन के मासिक औसत मूल्य के अंतर का भुगतान करेगी। यह योजना देश में तिलहन के 25 प्रतिशत तक के उत्पादन पर क्रियान्वित की जाएगी। इसके अलावा राज्यों को तिलहन की खरीद करने के लिए प्रायोगिक तौर पर निजी कंपनियों को साथ लेने का विकल्प दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि पीडीपी और निजी कंपनियों की भागीदारी विशेष रूप से तिलहनों के लिए होगी क्योंकि सरकार खाद्य तेलों के लिए देश की आयात पर निर्भरता को कम करना चाहती है।
नई नीति के तहत, राज्यों के पास मौजूदा मूल्य सहायता योजना (पीएसएस) चुनने का विकल्प भी होगा, जिसके अंतर्गत केंद्रीय एजेंसियां, जिंसों की कीमत एमएसपी से कम होने की स्थिति में, एमएसपी नीति के दायरे में आने वाली वस्तुओं को खरीदती हैं। सूत्रों ने बताया कि राज्य पीएसएस या पीडीपी चुन सकते हैं या किसानों को एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए खरीद के काम में निजी कंपनियों को साथ कर सकते हैं।
सरकार की खाद्यान्न खरीद एवं वितरण करने वाली नोडल एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), पहले से ही राशन की दुकानों और कल्याणकारी योजनाओं के जरिये आपूर्ति करने के लिए एमएसपी पर गेहूं और चावल खरीदती है। केंद्र उन वस्तुओं की खरीद के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) भी लागू करता है, जो प्रकृति में जल्द खराब होने वाली होती हैं और एमएसपी नीति के अंतर्गत शामिल नहीं हैं। एमएसपी नीति के तहत, सरकार खरीफ और रबी मौसमों में उगाई गई 23 अधिसूचित फसलों की दरों को निर्धारित करती है। भारत सालाना 1.4 से 1.5 करोड़ टन खाद्य तेल आयात करता है, जो घरेलू मांग का लगभग 70 प्रतिशत भाग है।