नई दिल्ली। विजय माल्या को जल्द भारत लाने की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। ब्रिटेन ने भारत माल्या को भारत डिपोर्ट करने से इंकार कर दिया है। हालांकि, यूके ने माल्या को भारत प्रत्यर्पण करने के मसले पर सहमति जताई है। ब्रिटिश एजेंसियों ने कहा, भारत की ओर से माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है, जबकि वह 1992 से यहां के नागरिक हैं, ऐसे में उन्हें ब्रिटेन से बाहर नहीं किया जा सकता है। सरकार ने माल्या को डिपोट करने के लिए दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग को पत्र लिखा था।
ब्रिटेन प्रत्यर्पण के लिए किया अनुरोध
ब्रिटिश सरकार ने भारत से माल्या के मामले में आपसी कानूनी सहयोग या प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध की बात कही है। ब्रिटेन ने साफतौर पर कहा है कि ब्रिटिश नियमों के मुताबिक माल्या को देश से बाहर नहीं किया जा सकता है। ब्रिटिश सरकार की ओर प्रत्यर्पण पर सहमति जताए जाने से लंबे समय से लुकाछिपी कर रहे माल्या के लिए अब वक्त खत्म होता दिख रहा है। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि भारत और ब्रिटेन के बीच इस प्रक्रिया में कितना वक्त लगता है। गौरतलब है कि विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस पर सरकारी बैंकों का 9,000 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है। राज्यसभा के सदस्य रहे विजय माल्या मार्च की शुरुआत में देश छोड़कर लंदन चले गए थे।
व्यक्तिगत पेशी से मिली छूट खत्म
दिल्ली की एक अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक अर्जी पर शराब कारोबारी विजय माल्या को नोटिस जारी किए हैं। ईडी ने माल्या को व्यक्तिगत पेशी से मिली छूट खत्म किये जाने का अनुरोध किया है। गौरतलब है कि माल्या विदेशी मुद्रा विनिमय के कथित उल्ल्घंन के एक मामले में भेजे गए समन से कथित तौर पर बच रहे हैं। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुमित दास ने इस पर माल्या से सम्मन का जवाब 20 मई तक देने को कहा है। इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने एक याचिका दायर की थी जिसमें बंद हो चुकी एयरलाइन कंपनी किंगफिशर के चेयरमैन माल्या के खिलाफ एक गैर जमानती वारंट जारी करने की भी अपील की गई है ताकि संबंधित मामले की सुनवाई में उनकी मौजूदगी सुनिश्चित की जा सके।
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