नई दिल्ली। एप बेस्ड टैक्सी सर्विस देने वाली कंपनियां उबर और ओला अब आपसे पीक टाइम में ज्यादा पैसे चार्ज नहीं कर पाएंगी। कर्नाटक सरकार ने कंपनियों के इस प्राइसिंग सिस्टम पर रोक लगा दी है। साथ ही महाराष्ट्र सरकार भी कर्नाटक सरकार की तर्ज पर यह फैसला अपने राज्य में भी लागू कर सकती है। उम्मीद यह भी की जा रही है कि आने वाले दिनों में देश की अन्य राज्य सरकारें भी इस नियम और कायदे को अपने राज्य में लागू कर सकती हैं।
पीक टाइम पर करना होता है ज्यादा भुगतान
मौजूदा समय में कंपनियां गाड़ियों की उपलब्धता के अनुपात में मांग ज्यादा हो जाने पर ग्राहकों से ज्यादा पैसे चार्ज करती हैं। यह बढ़ोतरी बेस प्राइस की तुलना में 2 से 3 गुना तक होती है। इसी के मद्देनजर कर्नाटक सरकार ने 6 अप्रैल को टैक्सी एग्रीगेटर जैसे ओला और उबर के लिए नए नियम और कायदे बनाएं है। इसके तहत कैब कंपनियां कस्टमर्स को अपने बेस फेयर से ज्यादा चार्ज नहीं कर सकती हैं। किसी भी समय कैब बुक करने पर किराया एक समान ही रहेगा। साथ ही कर्नाटक सरकार ने ड्राइवर के बैकग्राउंड की जांच, जीपीएस ट्रैकिंग और पैनिक बटन अनिवार्य कर दिए हैं।
अन्य राज्यों में भी नियम जल्द होंगे लागू
कर्नाटक को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने भी इन नियम और कायदों को अपने राज्य में भी लागू करने का फैसला कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र के एक मंत्री ने कहा है कि किराया वाहन और इंजन क्षमता के हिसाब से तय किए जाएंगे। इस नियम की अवमानना पर ट्रांसपोर्ट विभाग लाइसेंस रद्द कर सकता है। ऐसे में यह उबर के लिए दिक्कत वाली बात हो सकती है क्योंकि कंपनी ने महाराष्ट्र सरकार के साथ नई नौकरियां देने का करार किया था। अन्य राज्य भी ऐसे ही नियमों को लागू करने का विचार कर रहे हैं, ताकि टैक्सी के बढ़ते किराए पर रोक लगाई जा सके।
क्या इससे आम आदमी को राहत मिलेगी?
कस्टमर्स को निश्चित तौर पर राहत मिलेगी, लेकिन ओला और उबर जैसी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ेगा। इन बढ़ती किमती पर लगाम लगाने से ड्राइवर की तनख्वाह भी प्रभावित होगी। ड्राइवर्स को पीक टाइम में कंपनियों की ओर से ज्यादा भुगतान किया जाता है।
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