मुंबई। एक प्रमुख ऋण सूचना फर्म के अनुसार बीते साल देश में दुपहिया वाहन ऋण में गैर- बैंकिंग वित्तीय संस्थानों की अगुवाई में 32 प्रतिशत की प्रभावी बढोतरी दर्ज की गई। इस दौरान कर्जदारों द्वारा समय पर कर्ज नहीं लौटाने के सबसे अधिक मामले गुजरात में देखने को मिले। आंकड़ों के अनुसार ठाणे जिला इस खंड में एनपीए के लिहाज से सबसे ऊपर रहा। सीआरआईएफ हाई मार्क की प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी कल्पना पांडे ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस खंड में ऋण वृद्धि गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों की अगुवाई में हुई। यह वाहन कंपनियों द्वारा प्रवर्तित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन का संकेत है।
तीन प्रमुख ऋण सूचना देने वाली कंपनियों में से एक सीआरआईएफ का कहना है कि दुपहिया खंड के लिए सकल ऋण पोर्टफोलियो बढ़कर 39,100 करोड़ रुपए हो गया। इस दौरान एनबीएफसी से दिए गए कर्ज में 37 प्रतिशत बढोतरी दर्ज की गई।
इसके अनुसार दुपहिया ऋण बाजार भागीदारी के लिहाज से एनबीएफसी का हिस्सा बढ़कर 67 प्रतिशत हो गया है जो कि दो साल पहले 60 प्रतिशत था। आंकड़ों के अनुसार गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) के लिहाज से गुजरात में हालत सबसे खराब है जहां कुल कर्ज का तीन प्रतिशत कर्ज 90 से 180 दिन से अधिक बकाया चल रहा है। उसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक व राजस्थान है।
महाराष्ट्र सबसे बड़ा दुपहिया ऋण बाजार है जहां 579 करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया। एनपीए के मामले में गुजरात सबसे आगे रहा है, इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान का स्थान रहा है। हालांकि, एक जिले के हिसाब से ठाणे का एनपीए सबसे ज्यादा 4.46 प्रतिशत रहा। इसके बाद अहमदाबाद जिला और फिर सूरत जिला रहा है।
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