Corporate Battle : फिनोलेक्स समूह मुश्किल में, कंपनी पर नियंत्रण के लिए दो भाइयों के बीच मची खींचतान
3 अरब डॉलर वाले फिनोलेक्स ग्रुप की स्थापना 1958 में कराची से आए दो भाईयों प्रहलाद पी छाबडि़या और किशनदास पी छाबडि़या ने की थी। इसका मुख्यालय पुणे में है।
नई दिल्ली। प्रॉक्सी एडवाइजरी कंपनियों द्वारा फिनोलेक्स केबल्स में कंपनी संचालन में गड़बड़ी का मुद्दा उठाए जाने और शेयरधारकों को तीन निदेशकों की नियुक्ति के प्रस्ताव के खिलाफ मत देने की सलाह देने के बाद कॉरपोरेट जगत की एक और लड़ाई सुर्खियों में आ गई है। फिनोलेक्स केबल्स ने दीपक किसनदास छाबडि़या के चचेरे भाई प्रकाश छाबडि़या पर शेयरधारकों को उकसाने और विवाद पैदा करने का आरोप लगाया है।
3 अरब डॉलर वाले फिनोलेक्स ग्रुप की स्थापना 1958 में कराची से आए दो भाईयों प्रहलाद पी छाबडि़या और किशनदास पी छाबडि़या ने की थी। इसका मुख्यालय पुणे में है। ग्रुप में होल्डिंग फर्म ऑर्बिट इलेक्ट्रिकल्स, दीपक छाबडि़या की फिनोलेक्स केबल्स और प्रकाश छाबडि़या की फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज शामिल हैं। ऑर्बिट के पास 7500 करोड़ रुपये वाली फिनोलेक्स केबल्स में 30.7 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह कंपनी इलेक्ट्रिकल और दूरसंचार केबल्स का विनिर्माण करती है। फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज की कंपनी में 14.5 प्रतिशत हिस्सेदरी है। शेष हिस्सेदारी सार्वजनिक है। इन तीनों कंपनियों में चार कॉमन निदेशक दीपक और प्रकाश छाबडि़या, सुनील पाठक और संजय अशेर हैं।
प्रॉक्सी एडवाइजरी कंपनी स्टेकहोल्डर एम्पावरमेंट सर्विसेज (एसईएस) तथा इनगवर्न रिसर्च ने दीपक छाबड़िया की अगुवाई वाली फिनोलेक्स केबल्स पर शेयरधारकों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि फिनोलेक्स केबल्स ने कंपनी कानून के प्रावधानों तथा सेबी नियमों का उल्लंघन किया है। प्रॉक्सी एडवाइजरी कंपनियों ने शेयरधारकों को सलाह दी है कि वे इन निदेशकों की नियुक्ति के प्रस्ताव को खारिज कर दें।
फिनोलेक्स केबल्स के निदेशक मंडल ने पी आर बरपांडे, अविनाश श्रीधर खरे और फिरोजा फ्रेदून कपाड़िया को 30 सितंबर, 2020 को अतिरिक्त निदेशक नियुक्त किया था। अब इनकी निदेशक के रूप में नियुक्ति पर शेयरधारकों की मंजूरी ली जानी है। बोर्ड ने प्रस्ताव 8, 9, 10 के तहत उनको पांच साल के लिए स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करने का प्रस्ताव किया है। ऐसे में उनको बारी के हिसाब से सेवानिवृत्त होने की जरूरत नहीं होगी। एसईएस ने कहा कि ये प्रस्ताव सेबी नियमों का उल्लंघन हैं। साथ ही ये कानूनी की भावना के खिलाफ भी हैं। उसने शेयरधारकों से इन निदेशकों की नियुक्ति के प्रस्ताव के खिलाफ मत देने को कहा है।
प्रकाश छाबडि़या के खिलाफ दर्ज हैं एफआईआर
दीपक छाबड़िया द्वारा प्रकाश छाबड़िया एवं अन्य के खिलाफ दो आपराधिक मुक़दमे पहले ही दर्ज किए जा चुके हैं जिसमें परिवार के सदस्यों द्वारा करोड़ों रुपये की गिफ्ट डीड से संबंधित दस्तावेजों की जालसाजी के आरोप तथा बोर्ड ऑफ मीटिंग के झूठे दस्तावेज बनाने के लिए जांचकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
हाल ही में फिनोलेक्स केबल्स लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी महेश विश्वनाथन ने चतुरशृंगी पुलिस स्टेशन, पुणे में एसवी देउलकर, एसवीडी एंड एसोसिएट्स (जांचकर्ता) के खिलाफ एक नई प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसके तहत 25 सितंबर, 2021 की वार्षिक आम सभा में में वोटों के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है, जिसमें दीपक छाबड़िया और महेश विश्वनाथन को फिर से नियुक्त करने का प्रस्ताव था। कथित तौर पर देउलकर ने कंपनी के निदेशक, संजय आशेर के साथ मिलकर झूठे दस्तावेज तैयार करने की साजिश रची थी। इस प्राथमिकी में स्थानीय पुलिस से जांच- पड़ताल करने और साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है।
एजीएम में अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किए गए 11 प्रस्तावों में से एक, जिसमें प्रस्ताव संख्या 4, 6 और 7 के पक्ष में 4,69,56,120 इलेक्ट्रॉनिक वोट डाले गए थे। इसके बावजूद देउलकर ने इन वोटों को प्रस्तावों के खिलाफ दिखाया, जिसकी वजह से ये प्रस्ताव पारित नहीं हुए। आरोप है कि देउलकर ने सबसे पहले एक अलग इंस्टापोल वोटिंग रिपोर्ट भेजी, फिर उसे ही ई-वोटिंग रिपोर्ट के रूप में भेजा, और अंत में समेकित वोटिंग रिपोर्ट को संशोधित किया।
दर्ज की गई प्राथमिकी में कर्वी कम्प्यूटर शेयर प्राइवेट लिमिटेड को विशेषज्ञ कंपनी के रूप में और एसवी देउलकर को एजीएम के लिए तीसरे विशेषज्ञ पर्यवेक्षक (जांचकर्ता) के रूप में नियुक्त किए जाने का भी उल्लेख है। देउलकर ने जानबूझकर ई-वोटिंग रिपोर्ट को छुपाया ताकि कर्वी कंपनी पर इसे बदलने का दबाव डाला जा सके। कर्वी कंपनी के प्रबंधक प्रदीप ने भी फिनोलेक्स केबल्स के प्रबंधक, करंदीकर से संपर्क किया और कहा कि देउलकर ने ई-वोटिंग रिपोर्ट को बदलने के लिए कर्वी पर दबाव डाला।
फिनोलेक्स संस्था के अंतर्नियम के तहत, विश्लेषकों के पास केवल शेयरधारकों के वोटों की गणना करने के अलावा कोई निर्णायक अधिकार नहीं है, साथ ही उन्हें किसी भी वोट को बदलने का कोई अधिकार नहीं है। नियम के अनुसार, शेयरधारक एक बार अपना वोट डालने के बाद इसे बदल नहीं सकता है। जांचकर्ता द्वारा वैध और अमान्य वोटों को फॉर्म AGT 13 के प्रारूप में रिकॉर्ड करना होगा, साथ ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग में नियमों का पालन हुआ इसकी जांच करनी होगी।
2016 से चल रही है लड़ाई
ग्रुप होल्डिंग फर्म ऑर्बिट इलेक्ट्रिकल्स पर अधिकांश स्वामित्व हासलि करने के लिए दीपक छाबडि़या और प्रकाश छाबडि़या के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है। दीपक छाबडि़या का आरोप है कि प्रकाश छाबडि़या व अन्य आरोपियों ने फर्जी गिफ्ट डीड, शेयर ट्रांसफर फॉर्म और शेयर सर्टिफिकेट बनाए हैं ताकि वह फिनोलेक्स केबल्स और फिनोलेक्स पाल्सन कंपनियों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर सके।
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