नई दिल्ली। जिन कारोबारियों का सालाना टर्नओवर 20 लाख रुपए से कम का है उन्हें GST में पंजिकरण कराने की जरूरत नहीं है, लेकिन ऐसे कारोबारी अगर GST में रजिस्टर हो जाते हैं तो फिर उन्हें भी सामान्य टैक्स देने वाला कारोबारी समझा जाएगा और उनसे भी टैक्स वसूला जाएगा। शुक्रवार को MSME इंडस्ट्री के GST पर पूछे गए सवालों पर CBEC के जवाबों से यह जानकारी सामने आई है।
CBEC से सवाल में पूछा गया था कि किसी कारोबारी का सालाना टर्नओवर अगर 20 लाख रुपए से कम है और वह अपनी इच्छा से GST में रजिस्टर होता है तो क्या उसे भी टैक्स चुकाना पड़ेगा? इसके जवाब में CBEC ने कहा कि 20 लाख रुपए से कम सालाना टर्नओवर वाले कारोबारी अगर रजिस्टर होते हैं तो उन्हें सामान्य टैक्स दाता समझा जाएगा और उनको इस्तेमाल होने वाली वस्तु या सेवाओं की सप्लाई पर टैक्स चुकाना पड़ेगा भले ही उनको छूट प्राप्त हो। CBEC ने यह भी कहा कि ऐसे करोबारी GST में रजिस्ट्रेशन के बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ भी उठा सकते हैं।
CBEC ने जिस भी व्यक्ति का सालाना कारोबार 20 लाख रुपए से ऊपर का है उसे GST के तहत रजिस्टर होना जरूरी है। अगर किसी व्यक्ति का अलग-अलग राज्यों में कारोबार 10 लाख रुपए से कम है लेकिन कुल कारोबार 20 लाख रुपए से अधिक है तो उसका पंजिकरण होना जरूरी है। CBEC ने ये भी कहा कि कारोबार को चलाने और वस्तुओं की सप्लाई को बनाए रखन के लिए पंजिकरण जरूरी है।
MSME सेक्टर से GST को लेकर ज्यादातर सवाल कंपोजिशन स्कीम को लेकर थे। CBEC ने कंपोजिशन स्कीम के बारे में बताया कि जिन कारोबारियों का सालाना टर्नओवर 75 लाख रुपए से कम है (9 राज्यों में 50 लाख रुपए से कम) उन कारोबारियों को कंपोजिशन स्कीम के तहत GST में 2 फीसदी की छूट प्राप्त है, सभी मैन्युफैक्चर्रस इस स्कीम के दायरे में आते हैं। लेकिन आइसक्रीम, पान मसाला, तंबाकू और तंबाकू उत्पादन बनाने वाले कारोबारी इस स्कीम का लाभ नहीं उठा सकते। सर्विस सेक्टर में रेस्टोरेंट को छोड़ दूसरी सर्विसेज में इस स्कीम का लाभ नहीं है।
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