कारोबारी ध्यान दें! 1 नवंबर से डिजिटल भुगतान से जुड़े इस नियम में हो जाएगा बड़ा बदलाव
नए नियम के मुताबिक, 1 नवंबर 2019 से कारोबारियों को डिजिटल पेमेंट लेना अनिवार्य है। इसके अलावा ग्राहक या मर्चेंट्स से डिजिटल पेमेंट के लिए कोई भी शुल्क या मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) नहीं वसूला जाएगा।
नई दिल्ली। यदि आप अपना कारोबार करते हैं तो ये खबर आपके काम की है। दरअसल, वित्त मंत्रालय 1 नवंबर 2019 से भुगतान लेने के नियमों में बदलाव करने जा रहा है। नए नियम के मुताबिक, 1 नवंबर से कारोबारियों को डिजिटल पेमेंट लेना अनिवार्य है। इसके अलावा ग्राहक या मर्चेंट्स से डिजिटल पेमेंट के लिए कोई भी शुल्क या मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) नहीं वसूला जाएगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा को लागू करने के लिए यह निर्देश जारी किया है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने और कालेधन पर रोक के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सीबीडीटी के ताजा सर्कुलर के मुताबिक, नए नियम के तहत 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के टर्नओवर वाले कारोबारियों को 1 नवंबर 2019 से ग्राहकों को पेमेंट इलेक्ट्रॉनिक मोड उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।
सीबीडीटी ने बैंकों और पेमेंट सर्विस देने वाली कंपनियों से मांगे आवेदन
सीबीडीटी ने इच्छुक बैंकों और भुगतान प्रणाली उपलब्ध कराने वाली कंपनियों से भी आवेदन आमंत्रित किए हैं, जो चाहते हैं कि इस कार्य में उनकी प्रणाली का भी उपयोग हो और सरकार इस उद्देश्य के लिए योग्य प्रणाली के रूप में उनकी प्रणाली की भी अनुशंसा करें। इच्छुक बैंक और कंपनियां 28 अक्टूबर तक आवेदन कर सकते हैं। साथ ही 28 अक्टूबर तक dirtp14@nic.in पर मेल भी कर सकते हैं।
50 करोड़ रुपए से ज्यादा के टर्नओवर वाले कारोबारियों के लागू होगा नियम
बता दें कि यह नया नियम 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के टर्नओवर वाले कारोबारियों के ऊपर ही लागू होगा। नए नियम में कारोबारियों को इलेक्ट्रॉनिक मोड से भुगतान लेने पर अब कोई भी शुल्क या चार्ज नहीं देना होगा। इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम के लिए अप्लाई करना होगा। इसके तहत बैंक का नाम, पता, पैन नंबर आदि को ईमेल के जरिए भेजना होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में किया था प्रावधान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच जुलाई को बजट भाषण में कहा था कि 50 करोड़ रुपए से अधिक टर्न वाले कारोबारी प्रतिष्ठानों को अपने ग्राहकों को सस्ती डिजिटल भुगतान प्रणाली की सुविधा प्रदान करना चाहिए। आरबीआई और बैंकों को इन भुगतानों पर आने वाली लागत को खुद वहन करना चाहिए। इसके बाद सरकार ने आयकर कानून और पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स एक्ट 2007 में जरूरी संशोधन किए हैं।