नई दिल्ली। आयातकों एवं बैंकों की ओर से अमेरिकी मुद्रा की मांग आने से आज शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 30 पैसे गिरकर 19 महीने के निम्नतम स्तर 68.54 रुपए प्रति डॉलर पर आ गया। डॉलर के मुकाबले रुपए की यह 29 नवंबर 2016 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। रुपए में आई कमजोरी से हर उस वस्तु और सेवा के लिए हमें पहले से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी जो विदेशों से आयात होती है। देश में सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात होता है जिससे पेट्रोल और डीजल बनता है, यानि पेट्रोल और डीजल के महंगा होने की आशंका बढ़ गई है।
दूसरे नंबर पर ज्यादा आयात इलेक्ट्रोनिक्स के सामान का होता है। तीसरे नंबर पर सोना, चौथे पर महंगे रत्न, और पांचवें नंबर पर इलेक्ट्रिक मशीनों का ज्यादा आयात होता है। इन तमाम वस्तुओं को खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है और अब डॉलर खरीदने के लिए क्योंकि पहले से ज्यादा रुपए चुकाने पड़ेंगे तो ऐसे में इस तरह की तमाम वस्तुओं को विदेशों से खरीदने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।
इन सबके अलावा, देश में खाने के तेल, कोयला, केमिकल और कृत्रिम प्लास्टिक मैटेरियल का भी ज्यादा आयात होता है। इन सबके लिए भी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। इन सबके अलावा विदेश घूमना, विदेश में पढ़ाई करने जैसी सेवाएं भी महंगी हो जाएंगी।
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