इन 4 तरह के सिक्कों के बदले मोटी रकम देने को तैयार हैं लोग, क्या आपके पास भी हैं ऐसे सिक्के
1933 में जारी हुआ अमेरिका का आखिरी आधिकारिक सोने का सिक्का हाल ही में 138 करोड़ रुपये में बिका है।
नई दिल्ली। हाल ही में एक सिक्का 138 करोड़ रुपये में बिका है, इस सिक्के की खासियत इसका बेहद दुलर्भ होना है। दुनिया भर में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो इन सिक्कों के लिये बड़ी संख्या में पैसा देने को तैयार है। इसी वजह से ये सिक्के और नोट निवेश का एक और शानदार जरिया बनते जा रहे हैं। आज हम आपको बताते हैं कि किस तरह के सिक्कों के लिये लोग ऊंची कीमत देने को तैयार होते हैं।
किसी बड़े बदलाव या घटना से जुड़े दुर्लभ सिक्के, नोट
138 करोड़ रुपये में बिका ये सिक्का डबल ईगल अमेरिका में आधिकारिक रूप से जारी हुआ आखिरी सोने का सिक्का था, जो 1933 मे जारी हुआ था, चलन में आने से पहले सरकार ने इनके सार्वजनिक इस्तेमाल के खिलाफ फैसला लिया और इन सभी सिक्कों को हटा लिया गया, हालांकि कुछ सिक्के बच गये और आज इनकी कीमत करोड़ों में है। इनवेस्टर ऐसे किसी सिक्के या नोट को लेकर ज्यादा उत्सुक रहते हैं जिसे किसी बड़े बदलाव के सबूत की तरह प्रदर्शित किया जा सके, या उन्हे किसी घटना या बदलाव से जोड़ा जा सके।
किसी खास शख्स के नाम/हस्ताक्षर वाला सिक्का
1933 में छपे गवर्नर जे डब्लू कैली के हस्ताक्षर वाले एक रुपये और 1943 में जारी सी डी देशमुख के हस्ताक्षर वाले 10 रुपये के नोट के लिये लोग ऊंची कीमत देने को तैयार हैं। बेहद कम समय के लिये बने अधिकारी के हस्ताक्षर या राजा के द्वारा जारी किये गये सिक्के जिन्होने आगे कोई अहम काम किया हो कीमती और दुर्लभ की श्रेणी में आ सकते हैं।
किसी गलत छपाई वाला नोट/सिक्का
ढलाई या छपाई में कोई गलती होने पर उस नोट या सिक्के को नष्ट कर दिया जाता है, हालांकि फिर भी ऐसे सिक्के और नोट किसी भूल की वजह से चलन में आ जाते हैं और मूल्यवान हो जाते हैं। इसमें गलत कटाई, गलत छपाई, रंगों में बदलाव जैसी बाते शामिल होती हैं।
खास सीरीज नंबर वाले नोट
खास सीरीज नंबर वाले नोट बहुत महंगे तो नहीं बिकते हालांकि इनकी कीमत इनके फेस वैल्यू से ज्यादा ही होती है। इसमें सबसे ज्यादा ऐसे नोट की कीमत मिलती है जिसके सीरीज नंबर किसी खास संयोग जैसे किसी स्टार के जन्मदिन, किसी घटना की तारीख से मैच करती हो, हालांकि इनका मार्केट काफी स्पेस्फिक होता है।
तय नहीं होती इनकी कीमत
सिक्के और नोट की कीमत वही होती है जो उसे खरीदने वाला देना चाहता है, वो नहीं जो बेचने वाला मांगता है। अक्सर ग्राहक न मिलने की वजह से लोग मांगे जाने वाले प्राइस में कटौती करते हैं। वहीं डिमांड होने पर बिड शुरुआती कीमत से कई गुना भी बढ़ सकती है। दरअसल कीमत तय करने के लिए कई फैक्टर अहम होते हैं, जिसमें सिक्के या नोट की स्थिति, बाजार में मौजूद वैसे सिक्कों और नोट की संख्या, इन सिक्कों की अपनी खासियत और उस वक्त बाजार की स्थिति अहम होते हैं।
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