पूर्वोत्तर में भी चली भाजपा की भगवा आंधी, ये हैं जीत के 5 बड़े कारण
भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की आंधी ने आज पूर्वोत्तर भारत के एक मजबूत किले को भी ध्वस्त कर दिया। भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वोत्तर में लेफ्ट के मजबूत गढ़ त्रिपुरा को भगवा रंग में रंग दिया।
Sachin Chaturvedi Mar 03, 2018, 14:30:25 IST
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की आंधी ने आज पूर्वोत्तर भारत के एक मजबूत किले को भी ध्वस्त कर दिया। भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वोत्तर में लेफ्ट के मजबूत गढ़ त्रिपुरा को भगवा रंग में रंग दिया। पिछले चुनाव में यहां भाजपा का वोट प्रतिशत मात्र 1.54 प्रतिशत था। वहीं आज यहां पार्टी को एतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 25 साल पुरानी मानिक सरकार को परास्त कर दिया है। वहीं मिज़ोरम और मेघालय में भी भाजपा का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है। पार्टी प्रमुख अमित शाह और पूर्वोत्तर में पार्टी व्यूहकार राम माधव की कुछ खास कोशिशों का बेहतर परिणाम आज देखने को मिला। ये बीजेपी की कुछ खास रणनीतियां रहीं जिन्होंने पार्टी को पूर्वोत्तर में भी जीत दिलाई।
- विपक्ष की सोच से आगे चलो: पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के काम करने का तरीका भी यही है। जिस वक्त विपक्षी दल आपसी मनमुटाव या सत्तासुख भोगने में व्यस्त था, भारतीय जनता पार्टी ने उससे पहले ही पूर्वोत्तर में अपनी रणनीतिक बिसात बिठानी शुरू कर दी थी। 2018 के चुनावों के लिए भाजपा ने 2016 से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। पार्टी के वरिष्ठ नेता पिछले दो साल से पूर्वोत्तर में जमे हुए थे।
- लोगों के मन का भांप लो: देश में जहां भी लेफ्ट की सरकारें रही हैं उन्होंने दशकों तक वहां राज किया है। लंबे समय तक रही सरकार के खिलाफ विरोध को ढ़ूंढ़ना ज्यादा कठिन नहीं होता। भाजपा ने भी स्थानीय स्तर पर इन्हीं मुद्दों को हवा दी। पार्टी के असंतुष्टों को अपनी ताकत बनाया।
- फिर चला मोदी मैजिक: 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से भारतीय जनता पार्टी काफी सावधानी से मोदी मैजिक का प्रयोग कर रही है। पूर्वोत्तर के चुनावों में स्थीनीय चेहरे की बजाए प्रधानमंत्री मोदी को पेश करना इसी रणनीति का हिस्सा रहा। इसके बाद प्रधानमंत्री की ताबड़तोड़ रैलियों और केंद्रीय मंत्रियों के डेरा जमाने से इसका फायदा मिला।
- पे कमीशन कार्ड: देश में जहां 7वां वेतन आयोग लागू है वहीं त्रिपुरा में अभी चौथा वेतन आयोग ही लागू है। भाजपा को यह बैठा बिठाया मुद्दा मिला। त्रिपुरा में सरकारी कर्मचारी भी एक बड़ा वोट बैंक हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री से लेकर योगी आदित्यनाथ की रैलियों में भी इस मुद्दे को खूब भुनाया गया।
- युवाओं और महिलाओं का साथ: पिछले कुछ चुनावों में भाजपा ने खुद को एक युवा पार्टी के रूप में पेश किया है। त्रिपुरा में पार्टी ने कमान युवा नेता बिप्लव देब को सौंपी। नया युवा चेहरा होने के चलते स्थानीय युवाओं का भरोसा जीतने में पार्टी काफी हद तक कामयाब रही।