नई दिल्ली। इस साल चीनी के दाम में जो नरमी रही है, वह अगले साल तक जारी नहीं रह सकती है। उद्योग संगठन एसोचैम ने बुधवार को अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि इस साल देश में चीनी का उत्पादन और गन्ने की पैदावार घटने से अगले साल चीनी के दाम में बढ़ोत्तरी हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया काफी बढ़ गया है, इससे किसान गन्ना छोड़कर अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे अगले 6 से 12 महीने में गन्ना उत्पादन में कमी आएगी।
चीनी उद्योग के प्रमुख संगठन इस्मा के ताजा अनुमान के अनुसार 2015-16 में चीनी का उत्पादन 2.7 करोड़ टन रहने का अनुमान है। यह जुलाई में लगाए गए 2.8 करोड़ टन के अनुमान से कम है। 2014-15 में चीनी का कुल उत्पादन आठ साल के उच्च स्तर 2.83 करोड़ टन रहा था। रिपोर्ट में उत्पादन घटने का प्रमुख कारण 2015 में कमजोर और खराब मानूसन की वजह से महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम रिकवरी और पैदावार में गिरावट आना है। एसोचैम ने कहा है कि लगातार जारी अल-नीनो का प्रभाव आगामी वर्षों में गन्ने का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा घरेलू उत्पादन में कमी तथा आक्रामक चीनी निर्यात रणनीति से घरेलू कीमतों पर दबाव पड़ेगा। इसमें कहा गया है कि 2015-16 में उत्पादन में करीब 12 लाख टन की कमी का विशेष प्रभाव नहीं होगा, लेकिन 2016-17 में गन्ना उत्पादन में गिरावट की संभावना अधिक चिंता की बात है। 2016 की गर्मियों में चीनी की कीमतों पर भी दबाव आ सकता है।
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि सरकार को अभी से यह प्रयास करने होंगे कि घरेलू मांग के अनुरूप चीनी बाजार में उपलब्ध रहे, ताकि अगले साल चीनी के दाम इस साल प्याज और दालों की तरह आसमान पर न पहुंच पाएं। अक्टूबर के सीपीआई के मुताबिक चीनी की कीमतें सालाना आधार पर 10 फीसदी घटी हैं, लेकिन उपभोक्ताओं के लिए यह स्थिति आगे भी बनी नहीं रह सकती है।
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