नई दिल्ली। संकटग्रस्त नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) का उसकी पेरेंट कंपनी फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज (एफटीआईएल) में विलय का आदेश सरकार ने शुक्रवार को जारी कर दिया है। डेढ़ साल पहले अपने आदेश के मसौदे की पुष्टि सरकार ने अब की है। यह पहला मौका है जब सरकार ने निजी क्षेत्र की दो कंपनियों के विलय का आदेश दिया है। इसके लिए सरकार ने कंपनी कानून के कभी इस्तेमाल न होने वाले एक प्रावधान का सहारा लिया है। सरकार के इस आदेश से हजारों निवेशकों को राहत मिलेगी। लंबे समय से एनएसईएल के निवेशक दोनो कंपनियों के विलय की मांग कर रहे थे।
कंपनी मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को एनएसईएल और उसकी पेरेंट कंपनी एफटीआईएल के विलय का आदेश जारी कर दिया है। दरअसल साल 2013 के दौरान एनएसईएल का घोटाला सामने आया था, जिसके तहत निवेशकों का करीब 5,600 करोड़ रुपए दांव पर लगा हुआ है। घोटाला सामने आने के बाद से एनएसईएल में कारोबार पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है। एनएसईएल क्योंकी एफटीआईएल की कंपनी है और दोनो कंपनियों के विलय के बाद निवेशकों की देनदारी अब एफटीआईएल की हो जाएगी। हालांकि एफटीआईएल ने सरकार के इस आदेश के खिलाफ कोर्ट में जाने का फैसला किय है। इस अंतिम आदेश से एक दिन पहले आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय बैठक में एनएसईएल के 5,574 करोड़ रुपए के भुगतान संकट में धन की वसूली के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई थी।
अदालत में चुनौती देगी कंपनी
संकटग्रस्त एनएसईएल का एफटीआईएल में विलय के सरकार के आदेश पर निराशा जताते हुए फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज ने कहा कि वह इसे अदालत में चुनौती देगी। जिग्नेश शाह की अगुवाई वाली एफटीआईएल ने कहा कि इस आदेश का कंपनी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और कॉरपोरेट इंडिया के लिए इसका प्रभाव और व्यापक होगा।
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