GST पर संशय बरकरार, सरकार ने कहा इसे लागू करने की समय सीमा बताना अभी है बहुत कठिन
सरकार ने बुधवार को कहा कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) की शुरुआत के बारे में कोई समयसीमा का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है।
नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को कहा कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) की शुरुआत के बारे में कोई समयसीमा का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि यह सब मुख्य रूप से विधायी प्रक्रिया पर निर्भर करता है। जीएसटी कार्यान्वयन की नई तारीख क्या हो सकती है सवाल पर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि विधायी कैलेंडर इसमें एक कारक है। जीएसटी विधेयक संसद में कब पेश किया जा सकता है? राज्य वह सब कब करेंगे जो उन्हें करना है, फिलहाल यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है कि यह सब कब होगा।
सरकार जीएसटी को एक अप्रैल से लागू करने की उम्मीद कर रही है लेकिन संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में अटका है क्योंकि संसद के आज संपन्न शीतकालीन सत्र में इस पर चर्चा नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि जीएसटी एक कारोबार कर है जिसे रातों रात लागू किया जा सकता है। प्रशासनिक स्तर पर हम इसे एक अप्रैल 2016 से लागू करने को तैयार हैं। अगर संविधान संशोधन विधेयक बजट सत्र में पारित होता है, हमें देखना होगा कि विधायी कैलेंडर कैसे आगे बढ़ता है।
जीएसटी विधेयक, संविधान संशोधन विधेयक है इसलिए इसे संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी है। इसके साथ ही 50 फीसदी राज्य विधानसभाओं में इसे कम से कम समर्थन की जरूरत है। सिन्हा ने कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र बहुत निराशाजनक रहा क्योंकि सरकार को इसमें जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पारित होने की काफी उम्मीद थी।
जीएसटी के समर्थन में 48,000 प्रमुख लोगों के हस्ताक्षर
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को पारित करने की मांग को लेकर उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा शुरू किए गए हस्ताक्षर अभियान पर देश के शीर्ष उद्योगपतियों सहित 48,000 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। इस अभियान में सांसदों से अपील की गई है कि वे जीएसटी विधेयक को पारित कराने के लिए सहयोग करें। इस अभियान यूनिवर्सल अपील टु सपोर्ट जीएसटी में जीएसटी के क्रियान्वयन में देरी को गहन चिंता का विषय बताया गया है। यह अभियान 19 दिसंबर को शुरू किया गया था। इसे एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख, गोदरेज समूह के चेयरमैन आदि गोदरेज, डॉ रेड्डीज लैब के चेयरमैन सतीश रेड्डी, आदित्य बिड़ला ग्रुप फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ अजय श्रीनिवासन, सीआईआई के अध्यक्ष सुमीत मजूमदार, इतिहासकार रामचंद्र गुहा आदि का समर्थन मिला है।