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अटके हाईवे प्रोजेक्‍ट होंगे पूरे, सरकार देगी वनटाइम वित्‍तीय सहायता

केंद्र सरकार ने देश में सड़क निर्माण प्रोजेक्‍ट्स को गति देने के लिए इस सेक्‍टर में लंबे समय से अटके या अधूरे पड़े हाईवे प्रोजेक्‍ट्स को पूरा करने के लिए वनटाइम वित्‍तीय सहायता देने वाले प्रस्‍ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।

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नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार ने देश में सड़क निर्माण प्रोजेक्‍ट्स को गति देने के लिए इस सेक्‍टर में लंबे समय से अटके या अधूरे पड़े हाईवे प्रोजेक्‍ट्स को पूरा करने के लिए वनटाइम वित्‍तीय सहायता देने वाले प्रस्‍ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।

बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद दूरसंचार एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने पूरी न हो सके और बीच में अटके पड़े हाईवे प्रोजेक्‍ट्स के पुनरोद्धार के लिए वनटाइम वित्‍तीय सहायता उपलब्‍ध कराने को अपनी मंजूरी दे दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बिल्‍ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) आधार पर आवंटित टोल वाले हाईवे प्रोजेक्‍ट्स के लिए उपलब्‍ध प्रावधानों के तहत बीओटी (एन्‍यूटी) वाले लंबित प्रोजेक्‍ट्स के वित्‍तपोषण के प्रस्‍ताव को अनुमति दी गई है।

सरकार के इस फैसले से इस साल जून में बीओटी ले प्रोजेक्‍ट्स के लिए जारी एनएचएआई की नीति सर्कुलर के प्रावधानों को बीओटी (एन्‍यूटी) वाले प्रोजेक्‍ट्स के लिए भी लागू कर वनटाइम वित्‍तीय सहायता प्रदान की जा सकेगी। इससे देश में अटके पड़े हाईवे प्रोजेक्‍ट्स जल्‍द पूरे होंगे और आम जनता को आरामदायक सफर का लाभ मिलेगा।

इस योजना के तहत नवंबर 2014 तक 50 फीसदी काम पूरा करने वाले प्रोजेक्‍ट्स ही वनटाइम वित्‍तीय सहायता हासिल करने के पात्र होंगे। विशंकर प्रसाद ने बताया कि वित्‍तीय सहायता प्रदान करने वाली एजेंसी, भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और प्रोजेक्‍ट कॉन्‍ट्रैक्‍टर के बीच त्रिपक्षीय करार किया जाएगा।

3.8 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्‍ट्स हैं अटके

रोड सेक्‍टर में 3.8 लाख करोड़ रुपए के हाईवे प्रोजेक्‍ट्स अटके पड़े हुए हैं, कई मामलों में डेवलपर कंपनियों इन्‍हें पूरा करने में अपनी रुचि नहीं दिखा रही हैं। रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे सेक्रेटरी विजय छिब्‍बर ने पिछले सप्‍ताह कहा था कि रोड सेक्‍टर में एनपीए हुए लोन के लिए कुछ हद तक बैंक भी जिम्‍मेदार हैं, क्‍योंकि उन्‍होंने बिना उचित जांच पड़ताल के रोड प्रोजेक्‍ट्स को अत्‍यधिक कर्ज दिया है। उन्‍होंने कहा कि 70 फीसदी प्रोजेक्‍ट्स को ऊंची दिखाई गई लागत पर लोन दिया गया है। स्‍टील के बाद रोड सेक्‍टर में सबसे ज्‍यादा एनपीए है।

प्रोजेक्‍ट्स के पूरा न होने का जोखिम

पिछले हफ्ते क्रिसिल ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा था करीब आधे से अधिक रोड प्रोजेक्‍ट्स का निर्माण बिल्‍ट-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) आधार पर किया जा रहा है। इनके लिए 45,900 करोड़ रुपए का कर्ज मंजूर किया गया है। इन प्रोजेक्‍ट्स के पूरा न होेने का जोखिम बना हुआ है।

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