नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया पहल का झटका लगा है। अमेरिका की मशहूर इलेक्ट्रिकल व्हीकल निर्माता कंपनी टेस्ला भारत की बजाए चीन में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने जा रही है। कंपनी यह प्लांट चीन के प्रमुख व्यवसायिक शहर शंघाई में लगाएगी। एप्पल की तरह टेस्ला भी लंबे समय से भारत में निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए सरकारी मंजूरी की तलाश में थी। वॉलस्ट्रीट जर्नल की खबर के मुताबिक टेस्ला इंक के प्रमुख इलॉन मस्क और चीन की सरकार के बीच निर्माण इकाई स्थापित करने को लेकर मंजूरी बन चुकी है। यदि चीन में टेस्ला अपनी फैक्ट्री स्थापित करता है, तो अमेरिका से बाहर यह उसकी पहली इकाई होगी।
उल्लेखनीय है कि चीन में किसी विदेशी वाहन कंपनी को अमूमन किसी स्थानीय कंपनी के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रम बनानी होती है। इससे मुनाफा बंटने और प्रौद्योगिकी साझा करने की मजबूरी होती है। लेकिन माना जा रहा है कि इस करार के लिए चीन की सरकार ने मेक इन चायना के नियमों में नरमी बरती है। अखबार ने करार से जुड़े अज्ञात सूत्रों के हवाले से कहा है कि कंपनी का यह उत्पादन संयंत्र शंघाई के फ्री-ट्रेड क्षेत्र में बनेगा। इससे टेस्ला को चीन में अपनी कारों की कीमत कम करने की सहूलियत मिल सकती है। वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, फ्री-ट्रेड क्षेत्र में बनी टेस्ला की हर कार पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क की बचत होगी।
हालांकि इस संबंध में टेस्ला या शंघाई सरकार के प्रतिनिधि अभी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। टेस्ला ने जून में कहा था कि वह शंघाई के अधिकारियों के साथ संयंत्र के संबंध में बातचीत कर रही है। उसने कहा था कि वह चीन में संयंत्र के बाबत विस्तृत जानकारी इस साल के अंत तक दे सकती है।
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