नई दिल्ली: दूरसंचार कंपनियां आगामी नीलामियों में स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये खर्च करेंगी। इसमें से एक तिहाई राशि इसी वित्त वर्ष में खर्च की जाएगी। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दो साल में इसमें से आधी राशि का वित्तपोषण बाहर से किया जाएगा और इसमें से 75 प्रतिशत राशि निजी दूरसंचार कंपनियां खर्च करेंगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में दूरसंचार कंपनियां एक लाख करोड़ रुपये में से 37,000 करोड़ रुपये खर्च करेंगी। हालांकि यह 56,000 करोड़ रुपये के बजटीय अनुमान से कम है, लेकिन मार्च, 2016 तक जो उद्योग 4 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ से दबा है उसके लिए यह काफी बड़ी राशि है।
सरकार का इरादा अगले कुछ माह के दौरान होने वाली नीलामी में सात फ्रीक्वेंसी बैंड में 2,300 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम पेश करने का है। यह एक बार में बेचे जाने वाले स्पेक्ट्रम की सबसे उंची मात्रा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व की नीलामियों की तरह इस बारे ऑपरेटर्स के समक्ष कारोबार को जारी रखने का मुद्दा नहीं है। इसके बावजूद काफी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है क्योंकि रिलायंस जियो के प्रवेश से पहले मौजूदा कंपनियां अपनी 3जी और 4जी स्पेक्ट्रम होल्डिंग्स बढ़ाना चाहेंगी।
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