नयी दिल्ली। अंतर-मंत्रालयी समूह दूरसंचार आयोग ने स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) कम कर उनके सालाना राजस्व का तीन प्रतिशत किये जाने का आज समर्थन किया। आयोग ने यह भी निर्णय किया कि किसी भी स्थिति में सरकार के राजस्व की हानि रोकने के लिये दूरसंचार परिचालकों को वह न्यूनतम राशि देनी अनिवार्य होगी जो वे 2015-16 की दरों के आधार पर दे रहे हैं।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, भविष्य की नीलामी के लिये दूरसंचार आयोग स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) तीन प्रतिशत लगाये जाने की अपनी सिफारिशों को बरकरार रखा है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने एक समान 3.0 प्रतिशत की दर से एसयूसी लेने तथा धीरे-धीरे इसे 1.0 प्रतिशत पर लाने की सिफारिश की है। वर्ष 2010 के पहले केवल 2जी स्पेक्ट्रम था और इसीलिए राजस्व का आकलन आसान था। लेकिन 3जी और 4जी सेवाओं के लिये कंपनियों को आबंटित नये स्पेक्ट्रम के बाद प्रक्रिया जटिल हो गयी।
दूरसंचार विभाग के एक तकनीकी समिति ने कहा कि विभिन्न बैंकों में रेडियो तरंगे रखने वाली कंपनियों की आय को अलग करना कठिन होगा। सूत्रों ने कहा, दूरसंचार विभाग स्पेक्ट्रम नीलामी पर मंत्रालयों के बीच परामर्श के लिये एक सप्ताह में मंत्रिमंडल नोट जारी किरेगा। सभी स्पेक्ट्रम बैंडों की नीलामी एक साथ की जाएगी। सूत्रों ने कहा कि रिलायंस जियो के लिये एसयूसी 5.0 प्रतिशत से घटकर 2.88 प्रतिशत हो जाएगा। कंपनी के पास देश भर में उच्च गति के ब्राडबैंड सेवाओं के लिये लाइसेंस है।
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