वाशिंगटन। एच-1बी वीजा व्यवस्था में संभावित बदलाव से अविचलित भारत की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी टीसीएस परेशान नहीं है। कंपनी के सीईओ राजेश गोपीनाथन ने कहा है कि अमेरिका में इस मुद्दे पर चल रही मौजूदा चर्चा अर्थव्यवस्था के बजाए भावना पर आधारित है और इससे निपटने का अच्छा तरीका बेहतर संलिप्तता है।
गोपीनाथन ने अमेरिका में एच-1बी वीजा के मामले में विभिन्न संबंधित पक्षों के बीच बेहतर प्रतिबद्धता के साथ व्यावसाय की नीति अपनाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो तर्क-वितर्क इसको लेकर चल रहे हैं वह अर्थव्यवस्था के बजाय भावना पर ज्यादा आधारित हैं। उन्होंने कहा, इससे निपटने का बेहतर तरीका भागीदारी को बढ़ाना है। क्योंकि कभी-कभी जिस तरीके से हमारी जैसी कंपनियों को वर्गीकृत किया जाता है, वह वास्तविकता से काफी दूर होता है।
गोपीनाथन ने कहा, वास्तव में इस प्रकार के गठजोड़ से संदेश बाहर लाने में मदद मिलती है। लोग हमें समझेंगे कि हम कौन हैं और मुझे लगता है कि बातचीत तथा गठजोड़ से राजनीतिक समझ के अभाव को बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिलेगी। लोकतंत्र को भावनात्मक जवाब से निपटना चाहिए और आपके इससे पार पाना है तथा सकारात्मक रूप से जुड़ना है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका आईटी कंपनियों के लिए हमेशा उनका स्वागत करने वाला बाजार रहा है और इसने निष्पक्ष, खुला और प्रतिस्पर्धी माहौल उपलब्ध कराया है। गोपीनाथन ने भरोसा जताया कि टीसीएस सफलतापूर्वक किसी भी माहौल से निपटने में सक्षम होगी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उस सरकारी आदेश पर दस्तखत करने वाले हैं जिससे एच-1बी वीजा जारी करने की प्रक्रिया कड़ी होगी। साथ ही पूरी तरह तरह नया ढांचा तैयार करने के लिये व्यवस्था की समीक्षा पर जोर दिया गया है।
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