टाटा की हुई आज चांदी, वापस मिली एयर इंडिया वहीं TCS को Q2 में 9624 करोड़ रुपये मुनाफा
TCS की कंसोलिडेटेड आय पिछले साल के मुकाबले 16.8 प्रतिशत की बढ़त के साथ 46867 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गयी। कंपनी ने 7 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड का ऐलान किया है।
नई दिल्ली। टाटा ग्रुप के लिये आज का दिन काफी खास रहा है। आज ही टाटा संस ने कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीत ली है। वहीं समूह की एक अन्य कंपनी टीसीएस ने अपने तिमाही मुनाफे में 14 प्रतिशत से ज्यादा बढ़त की जानकारी दी है। कंपनी के मुताबिक सितंबर में खत्म हुई तिमाही के दौरान उसे 9600 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा हुआ है। टीसीएस में टाटा समूह की 71.9 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
टीसीएस का दूसरी तिमाही में मुनाफा 14% बढ़ा
आज जारी हुए नतीजों के मुताबिक देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का सितंबर में खत्म हुई तिमाही के दौरान कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 9624 करोड़ रुपये रहा है जो कि पिछले साल के मुकाबले 14.1 प्रतिशत ज्यादा है। इस अवधि के दौरान कंसोलिडेटेड आय पिछले साल के मुकाबले 16.8 प्रतिशत की बढ़त के साथ 46867 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गयी। इस दौरान अन्य आय में भी 21.6 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है। पिछली तिमाही के मुकाबले मुनाफे में 6.8 प्रतिशत और आय में 3.2 प्रतिशत की बढ़त रही है। आंकड़ों के अनुसार एबिट (Earnings before Interest and Tax) मार्जिन 25.60 प्रतिशत पर रहा है। मार्जिन में पिछली तिमाही के मुकाबले 0.1 प्रतिशत की बढ़त रही है, हालांकि पिछले साल के मुकाबले मार्जिन 0.6 प्रतिशत बढ़ा है। कंपनी ने जानकारी दी है कि तिमाही के दौरान उसने 10 करोड़ डॉलर से बड़ी कैटेगरी में 5 नये क्लाइंट जोड़े हैं। वहीं 5 करोड़ डॉलर के अधिक की कैटेगरी में 17 नये क्लाइंट जोड़े हैं। वहीं नॉर्थ अमेरिका में कंपनी के कारोबार में 17.4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हुई है। वहीं यूके में कारोबार 15.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। घरेलू कारोबार में 20.1 प्रतिशत की ग्रोथ रही है। इसके साथ ही कंपनी ने 7 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड का ऐलान किया है।
फिर से टाटा की हुई एयर इंडिया
सरकार ने आज जानकारी दी है कि टाटा संस ने कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीत ली है। अधिग्रहण की दौड़ में टाटा संस ने स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह को पीछे छोड़ा । टाटा की 18,000 करोड़ रुपये की बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज लेना और बाकी का नकद भुगतान करना शामिल है। बोली जीतने के बाद रतन टाटा ने एक बयान में कहा कि कर्ज में डूबी एयर इंडिया को पटरी पर लाने के लिये काफी प्रयास की जरूरत होगी, लेकिन यह जरूर है कि टाटा समूह के विमानन उद्योग में मौजूदगी को यह मजबूत व्यवसायिक अवसर उपलब्ध कराएगी।’’ जेआरडी टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की। तब इसे टाटा एयरलाइंस कहा जाता था। 1946 में टाटा संस के विमानन प्रभाग को एयर इंडिया के रूप में सूचीबद्ध किया गया था और 1948 में एयर इंडिया इंटरनेशनल को यूरोप के लिए उड़ानों के साथ शुरू किया गया था। अंतरराष्ट्रीय सेवा भारत में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी में से एक थी, जिसमें सरकार की 49 प्रतिशत, टाटा की 25 प्रतिशत और जनता की शेष हिस्सेदारी थी। 1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया था।
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