नई दिल्ली। मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण ने ई-कॉमर्स क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों फ्लिपकार्ट, अमेजन तथा स्नैपडील के ऑडिट का आदेश दिया है। ऑडिट के जरिये यह पता लगाया जाएगा कि इन कंपनियों ने उपभोक्ताओं से जुटाए गए अतिरिक्त माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लौटाया है या नहीं। राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण द्वारा फ्लिपकार्ट मामले में दायर याचिका के आदेश के तहत केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के ऑडिट महानिदेशक सभी प्रमुख ई-प्लेटफॉर्म कंपनियों का ऑडिट करेंगे और इसकी रिपोर्ट प्राधिकरण को सौपेंगे।
यह समस्या इसलिए पैदा हुई क्योंकि जब ऑर्डर दिया गया था तो उस समय जीएसटी दर ऊंची थी, जबकि उपभोक्ताओं को डिलिवरी के समय जीएसटी दर घट चुकी थी। फ्लिपकार्ट मामले में अपनी व्यवस्था देते हुए प्राधिकरण ने कहा कि इस तरह के कई मामले हो सकते हैं, जबकि ई-प्लेटफॉर्म द्वारा उपभोक्ताओं से अधिक जीएसटी लिया गया हो और बाद में कर दर कम होने पर उसे लौटाया नहीं गया हो। 15 नवंबर, 2017 को कई उत्पादों से जीएसटी दर घटाई गई थी। इसी के मद्देनजर मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण ने महानिदेशक ऑडिट, सीबीआईसी को प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों का ऑडिट करने और उसकी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
हालांकि, प्राधिकरण ने फ्लिपकार्ट के खिलाफ मुनाफा काटने संबंधी शिकायत को खारिज कर दिया। एक व्यक्ति ने यह शिकायत दर्ज की थी। ई-कॉमर्स कंपनी ने आश्वासन दिया है कि उसने बुकिंग के समय लिए गए अतिरिक्त जीएसटी को संबंधित व्यक्ति को वापस करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके बाद फ्लिपकार्ट के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया गया।
केंद्रीय वित्त मंत्री की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने पिछले साल 15 नवंबर से रोजमर्रा के इस्तेमाल के करीब 200 उत्पादों पर जीएसटी दर घटाई थी। इनमें चॉकलेट, फर्नीचर, हाथ घड़ी, कटलरी उत्पाद, सूटकेस और सेरामिक टाइल्स आदि शामिल हैं।
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