नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहने के संकेतों के बीच वित्त सचिव अजय भूषण पाण्डेय ने कहा कि सरकार के कर संग्रह में तेजी आई है और सरकार द्वारा कोविड-19 के मद्देनजर दिए गए प्रोत्साहनों के चलते आर्थिक संकेतकों में सुधार जारी है। वित्त सचिव ने पीटीआई-भाषा को एक साक्षात्कार में बताया कि वस्तुओं के परिवहन के लिए जरूरी ई-वे बिल को निकालने की संख्या कोविड से पहले के स्तर पर आ गई है और और ऑनलाइन भुगतान तेजी से बढ़े हैं। वस्तुओं की खपत या सेवा दिए जाने पर लिए जाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह में लगातार दूसरे महीने तेजी आई है। पाण्डेय ने कहा, ‘‘(कर संग्रह) के रुझानों से पता चलता है कि पिछले कुछ महीनों से इसमें गिरावट आई है, लेकिन यह न केवल सुधार के रास्ते पर है, बल्कि इसमें तेजी भी आ रही है।
जीएसटी संग्रह सितंबर के महीने में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले चार प्रतिशत अधिक था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अक्टूबर के महीने में इसमें पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 10 प्रतिशत की तेजी हुई, और संग्रह 1.05 लाख रुपये से अधिक रहा।’’ पाण्डेय ने कहा कि 50,000 रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं के परिवहन के लिए जरूरी ई-वे बिल को निकालने की संख्या अक्टूबर में 21 प्रतिशत बढ़ी, जबकि ई-चालान की संख्या 29 लाख आईआरएन (इनवॉइस रेफरेंस नंबर) से अधिक हो गई। पाण्डेय, जो राजस्व सचिव भी हैं, ने कहा, ‘‘ई-वे बिल और ई-चालान के साथ ही जीएसटी संग्रह के आंकड़े मिलकर संकेत देते हैं कि अर्थव्यवस्था न केवल सुधार के रास्ते पर है, बल्कि वृद्धि के पथ पर तेजी से लौट रही है।’’ चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 22 प्रतिशत घटकर 4.95 लाख करोड़ रुपये रहा। इस दौरान कॉरपोरेट कर संग्रह 26 प्रतिशत घटकर 2.65 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि व्यक्तिगत आयकर संग्रह 16 प्रतिशत घटकर 2.34 लाख करोड़ रुपये रह गया।
पाण्डेय ने कहा कि पिछले सात महीनों में कुल दो लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया, जबकि उस समय कर संग्रह कम था। उन्होंने कहा कि कर विभाग करदाताओं के उपभोग पैटर्न, बैंक स्टेटमेंट, म्यूचुअल फंड और शेयर लेनदेन, संपत्ति लेनदेन, आयात, निर्यात और विदेश से धनप्रेषण संबंधी जानकारी जमा कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमारे कर संग्रह प्रणाली में सुधार नहीं होता तो महामारी का आर्थिक प्रभाव कहीं अधिक होता। बीते वर्ष हमने फेसलेस मूल्यांकन, फेसलेस अपील, एसएफटी (वित्तीय लेनदेन का बयान), टीडीएस लागू करके नकद निकासी पर रोक जैसे कदम उठाए हैं।’’
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