नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि जमशेदपुर शहर को टाटा के नियंत्रण से मुक्त करवाकर एक चुनी हुई संस्था को सौंपना चाहिए। टाटा समूह पिछले 99 सालों से जमशेदपुर पर नियंत्रण हासिल किए हुए है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक तीन जजों की बेंच ने राज्य सरकार से एक अंतरिम कदम उठाने के लिए कहा है। हाईकोर्ट पहले ही राज्य सरकार से कह चुकी है कि या तो इसे एक इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित करे या इसे पंचायती राज कानून के तहत एक चुनी हुई संस्था के हवाले करे।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि टाटा जमशेदपुर शहर में बाहरी लोगों के खिलाफा भेदभाव कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप जमेशदपुर के अधिकांश इलाकों में मूलभूत नागरिक सुविधाएं नहीं हैं। याचिका में कहा गया है कि यह शहर न तो एक इंडस्ट्रियल टाउनशिप है और न ही नगर निगम जैसी किसी चुनी हुई संस्था के अधीन है। जमशेदपुर अभी भी एक अधिसूचित एरिया काउंसिल द्वारा प्रशासित शहर है।
इस जनहित याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सरकार को इसे एक साल के भीतर पंचायती राज कानून के तहत चुनी हुई संस्था के हवाले कर देने, नहीं तो इसे एक इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित करने का आदेश दिया था। इस मामले में सरकार ने अभी तक कुछ नहीं किया है।
जमशेदपुर में नगर निगम न होने की वजह से मूलभूत सेवाएं जैसे प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल आपूर्ति, ठोस कचड़ा प्रबंधन और अन्य नागरिक सुविधाएं जैसे सड़क, पार्क आदि की जिम्मेदारी एक बिना चुनी हुई, बिना जिम्मेदारी वाली औद्योगिक संस्थान के पास है।
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