नई दिल्ली। टाटा मोटर्स डीजल वाहनों पर प्रतिबंध को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) में गई है। कंपनी इस बारे में स्पष्टीकरण चाहती है कि क्या उसके दो आदेशों के मद्देनजर दिल्ली में मध्यम और भारी वाणिज्यिक डीजल वाहनों के पंजीकरण पर रोक है। कंपनी ने एनजीटी के समक्ष दावा किया है कि दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने उसके 11 दिसंबर, 2015 और इस साल 6 जनवरी के दो आदेशों का हवाला देते हुए मध्यम व भारी वाणिज्यिक डीजल वाहनों के पंजीकरण से इनकार किया है। यह उसकी कारोबारी गतिविधियों के संचालन के अधिकार का हनन है।
हरित न्यायाधिकरण ने पिछले साल 11 दिसंबर को निर्देश दिया था कि किसी नए डीजल वाहन और 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहन का राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुनवाई की अगली तारीख तक पंजीकरण नहीं होगा। इसके बाद 6 जनवरी को एनजीटी ने कहा कि चूंकि दिल्ली में वायु प्रदूषण का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है, इसलिए वह फिलहाल इस पर कोई निर्देश जारी नहीं करेगा। एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के समक्ष अपनी अपील में टाटा मोटर्स ने कहा कि पिछले साल 16 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि डीजल से चलने वाले एसयूवी तथा 2000 सीसी या अधिक की निजी कारों के पंजीकरण पर एनसीआर में 31 मार्च तक रोक रहेगी।
अपील में कहा गया है कि परिवहन विभाग मध्यम और भारी वाहनों का पंजीकरण नहीं कर रहा है। इसके लिए न्यायाधिकरण द्वारा डीजल वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध का हवाला दे रहा है। अपील में कहा गया है कि इन आदेशों को पढ़ने के बाद स्पष्ट है कि फिलहाल एसयूवी और 2000सीसी और अधिक की निजी डीजल कारों पर दिल्ली में प्रतिबंध है। एनजीटी इस मामले की सुनवाई 24 अगस्त को करेगा। इस बीच, दिन में सुनवाई के दौरान न्यायाधिकरण ने वाहन कंपनी टोयोटा को दिल्ली में वायु प्रदूषण तथा डीजल वाहनों पर प्रतिबंध संबंधित मामले में पक्ष बनाने की अनुमति दे दी। टाटा मोटर्स ने न्यायाधिकरण को बताया कि परिवहन विभाग द्वारा मध्यम व भारी डीजल वाणिज्यिक वाहनों के पंजीकरण से इनकार के बाद संबंधित पक्षों ने इस बारे में उच्चतम न्यायालय से स्थिति साफ करवाने का प्रयास किया।
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