नई दिल्ली। देश के प्रमुख औद्योगिक घराने टाटा समूह में जारी उठापटक के बीच स्थिति और भी पेचीदा हो गई है। टाटा संस के चेयरमैन से हटाए गए सायरस मिस्त्री ने रतन टाटा पर गंभीर आरोप लगाते हुए नया हमला बोला है।
मिस्त्री ने आज शेयर धारकों के नाम भेजे लैटर में पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का नाम लिए बगैर इशारों में कहा कि टाटा समूह किसी की व्यक्तिगत जागीर नहीं है।
मिस्त्री ने अपने पत्र में मांग की है कि सरकार मामले की नाजुक स्थिति को समझे और वह टाटा ट्रस्टों के संचालन में हस्तक्षेप करे।
पत्र में क्या–क्या कहा मिस्त्री ने
- मिस्त्री ने कहा टाटा समूह किसी एक व्यक्ति का नहीं है और न ही टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टियों का है।
- सारे निर्णय का अधिकार किसी एक व्यक्ति के अधीन होना अनैतिक, अनुचित और विश्वास का हनन है।
- आवश्यक हो गया है कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप जल्द से जल्द करे।
- टाटा सन्स, खास तौर पर टाटा के ट्रस्टों की संचालन व्यवस्था में सुधार जरूरी है।
- सरकार का यह स्वाभाविक दायित्व बनता है कि वह बिगड़ी संचालन व्यवस्था को सुधारने और बेहतर बनाने के लिए हस्तक्षेप करे।
- अगर टाटा ट्रस्टों की संचालन व्यवस्था दुरुस्त नहीं की जाती है तो इसके संस्थापकों ने जो सपना देखा था, यह उसके लिए खतरा होगा।
- सायरस मिस्त्री ने इस लेटर में शेयरधारकों से कहा कि वे अपनी बात कहें और भविष्य को संवारने में योगदान दें।
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