नयी दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमणियम ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक प्रोत्साहनों को कम करने (टेपरिंग) से भारत पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। कई अर्थशास्त्रियों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि उभरते बाजार 2013 के ‘टेपर टैंट्रम’ की पुनरावृत्ति को नहीं झेल सकते।
इक्रियर द्वारा आयोजित वार्षिक अंतरराष्ट्रीय जी-20 सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद वैश्विक वित्तीय संकट के समय की तुलना में मजबूत है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में मेरा मानना है कि इसका लघु अवधि में कुछ असर हो सकता है, लेकिन कुल मिलाकर बांड खरीद कार्यक्रम में कमीसे भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक प्रभावित नहीं होगी।’’ वर्ष 2013 में अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा मौद्रिक नीति के तहत मात्रात्मक प्रोत्साहन उपायों पर ब्रेक के बाद उभरते बाजारों से पूंजी का प्रवाह शुरू हो गया था और वहां मुद्रास्फीति बढ़ी थी। इसे टैपर टैंट्रम कहा जाता है।
विनिवेश के मोर्चे पर सुब्रमणियम ने कहा कि यह वर्ष पिछले सालों की तुलना में भिन्न होगा। सरकार पिछले तीन वित्त वर्षों से विनिवेश का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई है। सुब्रमणियम ने कहा कि एयर इंडिया का जल्द विनिवेश होगा। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैकों के निजीकरण के लिए भी उपायों की घोषणा की जाएगी। स्वास्थ्य और वित्तीय क्षेत्र पर सुब्रमणियम ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र अब मुनाफे में है और कोविड-पूर्व स्थिति की तुलना में गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) नीचे आई हैं।
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