नई दिल्ली। कालेधन के खिलाफ जंग में मोदी सरकार को एक और सफलता मिली है। विदेशों में कालधन जमा करने वालों की खबर सरकार तक अब आसानी से पहुंच सकेगी। भारत और स्विट्जरलैंड ने ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इंफोर्मेशन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत सितंबर 2019 के बाद भारत को स्विस बैंक में भारतीय खाताधारकों की जानकारी मिलना शुरू हो जाएगा।
- वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि सितंबर 2019 से भारत के लिए यह संभव होगा कि उसे भारतीय नागरिकों द्वारा 2018 में स्विस बैंकों के साथ किए गए प्रत्येक लेन-देन की जानकारी ऑटोमैटिक आधार पर मिलने लगेगी।
- मोदी सरकार की प्राथमिकता विदेशों में जमा कालेधन को वापस लोना है और दोनों देशों के बीच इस समझौते से इस लक्ष्य को हासिल करने में काफी मदद मिलेगी।
स्विस बैंकों में विदेशी धन: भारत 75वें स्थान पर खिसका, ब्रिटेन टॉप पर
- इस साल की शुरुआत में वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि उसके पास भारतीयों द्वारा स्विस बैंक में जमा किए गए कालेधन के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।
- हालही के वर्षों में सरकार ने कालेधन से निपटने के लिए कई प्रभावकारी कदम उठाए हैं। जिसमें नया कानून ब्लैकमनी (अनडिसक्लॉज्ड फॉरेन इनकम एंड असेट) एंड इम्पोजिशन ऑफ टैक्स एक्ट 2015 को भी लागू किया गया है।
- सरकार ने इस नए कानून के लिए एक बारगी तीन माह के लिए सिंगल विंडो की सुविधा दी थी, जिसमें 648 लोगों ने स्वघोषणा के जरिये 4,164 करोड़ रुपए के कालेधन का खुलासा किया था।
- ऐसे मामलों में टैक्स और पेनाल्टी के जरिये सरकार को 2,476 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ था।
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