सूरत के हीरा उद्योग को सता रहा है दशक में दूसरी बार मंदी का डर
सूरत में 15,000 से अधिक बड़े और छोटे उद्योग हैं, जिस पर करीब सात लाख लोग आश्रित हैं। वहीं, सूरत में छह लाख से अधिक लोग हीरा उद्योग से जुड़े हैं, जहां 3,500 से अधिक छोटी-बड़ी हीरा फैक्टरियां हैं।
सूरत: "मैं जीवन के ऐसे चरण में फंस गया हूं, जहां से ना तो मैं आगे बढ़ सकता हूं और ना ही पीछे हट सकता हूं। यह स्थिति पिछले दो महीनों से जारी है। एक दिन मेरे नियोक्ता ने मुझे और छह अन्य सहयोगियों से कहा कि काम पर नहीं आऊं, ऐसे में हम बीच अधर में लटके हुए हैं।" गुजरात के सूरत के पूर्व हीरा कर्मचारी सुभाष मनसुरिया ने अफसोस जताते हुए यह बातें कही।
अपने दो बच्चों और पत्नी की देखभाल के लिए 35 वर्षीय हीरा कारीगर पिछले दो महीनों से नौकरी की तलाश में हैं। उन्होंने एक हीरा फैक्ट्री में छह साल तक काम करने के बाद नौकरी खो दी। यहां तक कि उन्हें सीवरेंस वेतन का भी भुगतान नहीं किया गया। इसके बाद डायमंड वर्क्स यूनियन ने हस्तक्षेप किया, जिसके बाद उन्हें दो महीने का वेतन मिला।
मनसुरिया की तरह की कई कामगारों को नौकरी से निकाल दिया गया, क्योंकि बाजार में अनिश्चितता है। कई फैक्ट्ररियों के आगे नोटिस लगा है, "धन को बुद्धिमत्तापूर्वक खर्च करें। नवरात्रि की छुट्टियां लंबी हो सकती हैं।" हीरा कामगार तेजस पटेल का कहना है कि इस कारोबार में अनिश्चितता है और वे नहीं जानते कि उनकी नौकरी अभी कितने दिन तक बरकरार है। वे अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए 18,000 रुपये प्रति माह कमाते हैं। उन्होंने कहा कि वे बहुत पढ़े-लिखे नहीं हैं और न ही उनके पास कोई और कौशल है, इसलिए वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
डायमंड वर्क्स यूनियन के अध्यक्ष रानमल जिलारिया ने कहा कि हीरा उद्योग में नौकरी की स्थिति गंभीर है। लोगों को बिना नोटिस दिए काम से निकाला जा रहा है और उन्हें जितना सीवरेंस मिलना चाहिए, नहीं दिया जा रहा है।
सूरत में 15,000 से अधिक बड़े और छोटे उद्योग हैं, जिस पर करीब सात लाख लोग आश्रित हैं। वहीं, सूरत में छह लाख से अधिक लोग हीरा उद्योग से जुड़े हैं, जहां 3,500 से अधिक छोटी-बड़ी हीरा फैक्टरियां हैं। गुजरात में फिलहाल 60,000 हीरा कारीगर बेरोजगार हैं, जिसमें से 13,000 सूरत के हैं।
सोनी डायमंड बिजनेस इंस्टीट्यूट के श्रेयन सोनी का कहना है कि मंदी के कारण सूरत के हीरा उद्योग की हालत खराब है। उन्होंने कहा कि नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और जतिन मेहता द्वारा किए गए बैंक घोटालों के कारण अब बैंक इस कारोबार को कर्ज नहीं दे रहे हैं, जिससे हालत और खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि इससे पहले नोटबंदी और जीएसटी ने हीरा उद्योग को बुरी तरह से प्रभावित किया और अब कई व्यवसाय बंद होने के कगार पर हैं।